वेदव्यास ने गणपति भगवान की सहायता से अठारह हजार शलोकों की भागवत की रचना की है :सुमित शास्त्री


रक्कड़, पूजा: तहसील रक्कड़ के चपलाह में भागवत कथा के दूसरे दिन पंडित सुमित शास्त्री ने वर्णन करते हुए कहा कि वेदव्यास अपनी शम्यप्रास कुटिया पर खिन्न मन से बैठे हुए थे तभी वहां पर देवऋषि नारद का आगमन हुआ उन्होंने आते ही वेदव्यास के दुःखी होने का कारण पूछा तो बताया कि कलियुग में मनुष्यों की बुद्धि अच्छे की ओर बाद में बुरे की ओर पहले जायेगी ।

तब नारद ने उन्हें एक ऐसा ग्रंथ लिखने के लिए प्रेरित किया जिसमें भगवान के गुणगणों का वर्णन हो । तब वेदव्यास ने गणपति भगवान की सहायता से अठारह हजार शलोकों की भागवत की रचना की ।इसके बाद शास्त्री ने महाभारत प्रसंग,कुंती चरित्र,भीष्म प्रसंग व राजा परीक्षित के जन्म व शाप की कथा श्रवण करवाई । कथा में प्रदीप कुमार ,प्रमोद, सुभाष शर्मा,शेषपाल,सुषमा , किरण,इंदुबाला,कुसुमलता ने भाग लिया ।

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