वेदव्यास परिसर में हुआ राष्ट्रीय सेमिनार का समापन



प्रागपुर,21 अक्टूबर (पूजा):  केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के बलाहर स्थित वेदव्यास परिसर में भारतीय ज्ञान परंपरा और हिमाचल प्रदेश की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत पर आधारित राष्ट्रीय संगोष्ठी का समापन कर दिया गया। इस अवसर पर देश भर से आए प्रख्यात विद्वानों और शोधार्थियों ने अपने विचार और शोध निष्कर्ष साझा किए। जिससे यह आयोजन ज्ञान और संस्कृति के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुआ।


संगोष्ठी का शुभारंभ मुख्य वक्ता प्रो. मदन मोहन झा (केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, नई दिल्ली) के ऑनलाइन माध्यम से व्याख्यान के साथ हुआ। उन्होंने भारतीय ज्ञान परंपरा की समकालीन प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला। विशिष्ट अतिथि के रूप में आचार्य डॉ. रतनलाल (श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, नई दिल्ली) और डॉ. राकेश जी (सरदार पटेल विश्वविद्यालय) ने भी ऑनलाइन माध्यम से अपने विचार रखे। कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. चेतराम (निदेशक, इतिहास और संस्थान नेरी) ने की।जिन्होंने अपने अनुभवों से कार्यक्रम को समृद्ध किया।


संगोष्ठी में प्रस्तुत किए गए शोध पत्रों ने हिमाचल प्रदेश की विविध सांस्कृतिक और भाषाई परंपराओं पर गहन दृष्टि डाली। “भारतीय ज्ञान परंपरा में महर्षि मनु का योगदान” विषय पर प्रस्तुत शोध ने प्राचीन भारतीय विचारधारा की वर्तमान संदर्भ में प्रासंगिकता को रेखांकित किया। हिमाचल प्रदेश के प्रसिद्ध मेलों और उनके महत्व पर केंद्रित प्रस्तुति ने राज्य की जीवंत लोक संस्कृति को उजागर किया।
इस अवसर पर वेदव्यास परिसर के शिक्षक,कर्मचारी एवं छात्र छात्राएं मौजूद रहे।

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