न्याय से कमाया हुआ धन ही जीवन में सुख- शांति प्रदान करता है”उक्त वाक्य कथावाचक पंडित सुमित शास्त्री



रक्कड़, 5 मई (आनंद): अप्पर प्रागपुर के शिव- पार्वती में चल रही श्रीमद भागवत कथा के दूसरे दिन शास्त्री ने वर्णन करते हुए कहा कि महाराजा परीक्षित ने एक दिन अपने राज खजाने में प्रवेश किया और एक सोने का मुकुट अपने सिर पर धारण कर लिया, ये वही मुकुट था जिसे राजा के पूर्वज किसी को मार कर व छीन झपट कर लाए थे। I जिसका प्रभाव ये हुआ कि राजा परीक्षित से एक महान संत शमीक मुनि का घोर अपमान हो गया । जिसके चलते शमीक के पुत्र श्रृंगी ने उन्हें तक्षक नाग से सात दिन में मरने का शाप दे दिया । ये सब कुछ उस अन्याय की कमाई का ही फल था ।

जिसका परिणाम महाराजा परिक्षित को भोगना पड़ा।इसके बाद शास्त्री ने शुकदेव आगमन व शीघ्र मरने वाले को क्या करना चाहिए इन प्रसंगों को श्रवण करवाया।कथा मे संग्राम सिंह कमल, संदीप, अनु ,गरिमा, वैदिका व वीना देवी ने भाग लिया ।

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