मिलाप कौशल/ खुंडियां
घटते जल स्तर को लेकर लोग सतर्क हों। पुराने जल स्त्रोतों में लगातार पानी का स्तर कम होता जा रहा है। लोगों को इसके लिए जागरूक होने की जरूरत है। गांव की 101 वर्षीय बुजुर्ग महिला मनसां देवी से बातचीत करते हुए पुराने जमाने की बातें की गई मनसां देवी ने बताया कि पहले पानी के कई जल स्त्रोत होते थे।
नालों में पानी इकट्ठा किया जाता था नालों में पानी को इकठ्ठा करने के लिए छोटे-छोटे बांध बनाए जाते थे जिनमें पशुओं को पानी पिलाया जाता था। पशुओं को नहलाया जाता था। जंगलों में पानी के स्त्रोतों को संवारा जाता था जिसमें जंगली जानवर पानी पीते थे लेकिन आज वो पानी के स्त्रोत लगभग खत्म हो चुके हैं जिस के लिए हम खुद जिम्मेदार हैं।
आज हमारी नदियां,नाले,गांव की बावड़ियां, गांवों के कुएं, जंगलों में बने तालाब सूख गए हैं।हम सब प्राकृतिक जल स्त्रोतों को छोड कर बाजारों में बिक रहे पानी पर निर्भर हो रहे हैं। बुजुर्ग मनसां देवी का कहना है कि अभी भी वक्त है कि हमें हमारे जल स्त्रोतों को संवार कर उनकी देखभाल करनी चाहिए ताकि समय रहते इस समस्या से निजात मिल सके।