रक्कड़, पूजा: संसार के विरोध में कुछ भी कहना ठीक नहीं, परमात्मा के पक्ष में कहना अधिक न्याय संगत होगा. एक-एक बूंद करके जीवन चुकता जाता है, खाली होता जा रहा है. इसको हम जीवन न कहें, अन्यथा झूठ हो जाएगा. इसको हम धीरे-धीरे आती मौत कहें तो ज्यादा बेहतर है. हम जन्मदिन तो मनाते हैं पर सच्चाई यह है कि सभी मौत के दिन हैं. जिस दिन हम अपने जन्मदिन में मृत्यु को देख लेते हैं, जीवन में मृत्यु की पगध्वनि सुन लेते हैं उस दिन हमने सत्य को वास्तव में जाना. ऐसा सत्य ही मुक्तिदाई है ।
उक्त अमृतवचन श्रीमद् भागवत कथा के पंचम दिवस में परम श्रद्धेय अतुल कृष्ण जी महाराज ने नाग मंदिर, रक्कड़ में व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि सत्य को जानने से पहले असत्य को असत्य की तरह जान लेना जरूरी है. मनुष्य के जीवन में आशा एक मीठा जहर है. परमात्मा की ओर जाने का अर्थ है शिखर की तरफ जाना. आनंद मुफ्त में नहीं मिलता, अर्जित करना होता है, श्रम करना पड़ेगा. जिसने श्रम किया, जिसने अपने को तैयार किया उस पर ही परमात्मा बरस सकता है. यद्यपि श्रम से ही नहीं मिलता, श्रम करने के बाद मिलता है लेकिन प्रसाद से. जब हमारी सारी आकांक्षाएं, अपेक्षाएं छूट जाती हैं तो परमात्मा का द्वार खुल जाता है. हमें अपनी बुद्धि नहीं सद्बुद्धि का आश्रय लेना है. बुद्धि बात-बात में विवाद करती है, खंडन करती है।
आलोचना करती है, विरोध करती है जबकि सद्बुद्धि संवाद करती है. बुद्धि विश्लेषण करती है जबकि सद्बुद्धि संश्लेषण करती है. बुद्धि सीमाएं खींचती है जबकि सद्बुद्धि सीमाएं मिटाती है. जब सभी सीमाएं मिट जाती हैं तभी असीम की उपलब्धि होती है ।
महाराजश्री ने कहा कि हम सीमाओं में बंध कर असीम को नहीं जान सकते. सीमाओं में बंध कर हम जो कुछ भी जानेंगे वह सीमित ही होगा. असीम को जानने के लिए असीम ही होना पड़ेगा, यही एकमात्र शर्त है. हम पुराने को बचाने में लगे रहते हैं. अगर हम पुराने को बहुत संभालेंगे तो नए को जगह न मिलेगी. वयोवृद्ध का जाना जरूरी है ताकि बच्चे आ सकें. जराजीर्ण वृक्ष गिरेगा तभी नए अंकुर विकसित हो सकेंगे।आज कथा में भगवान श्री कृष्ण के द्वारा पूतना उद्धार, उखल बंधन, माखन चोरी, कालिय नाग का मर्दन एवं श्री गोवर्धन पूजा का प्रसंग लोगों ने अत्यंत भाव से सुना. इस अवसर पर अनेक झांकियां भी निकाली गईं. इस अवसर पर प्रमुख रूप से सर्वश्री सुरेश कुमार शर्मा, देशबंधु, सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता विनोद कुमार शर्मा, डॉ. सुनील शर्मा, मदन लाल, अमित शर्मा, मनोज गुरु, अश्विनी शर्मा, अरविंद शर्मा, मंजू लता शर्मा, अनीता शर्मा, कल्पना शर्मा, किरण ठाकुर, सुलक्षणा शर्मा, सुदर्शना शर्मा, कांता शर्मा इत्यादि उपस्थित रहे ।