जिला परिषद सदस्य कुशाल भारद्वाज ने स्थानीय लोगों सहित कून का तर पुल का किया दौरा




किरण राही /पधर /मंडी।




जोगिन्दर नगर व कोटली को जोड़ने वाले कून का तर पुल का निर्माण कार्य आरंभ होने पर साइट का जायजा लेने तथा निर्माण कार्य से पैदल रास्ता बिल्कुल बंद होने एवं झूला पार करते हुए स्कूली बच्चों और अन्य लोगों को आ रही समस्याओं को जानने के लिए किसान सभा राज्य उपाध्यक्ष एवं जिला परिषद सदस्य कुशाल भारद्वाज ने स्थानीय लोगों की टीम सहित कून का तर का दौरा किया तथा तथा राहगीरों व स्कूली बच्चों की समस्याओं को सुना।

इस अवसर पर स्कूली बच्चों और उनके अभिभावकों ने बताया कि ब्यास नदी के ऊपर जो झूला लगाया गया है वह बिलकुल भी सुरक्षित नहीं है। यह झूला कई बार बीच नदी के ऊपर अटक जाता है और खतरनाक बात ये है कि इस झूले में लगा रस्सा घिस चुका है और इसको गांठों से जोड़ा गया है। जिससे हर समय खतरा बना रहता है। निर्माण कार्य शुरू तो हो गया है लेकिन जेसीबी की खुदाई से जो मलबा गिर रहा है ।

उससे पैदल चलने वाला रास्ता बिलकुल बंद हो चुका है तथा खतरनाक ढाँक से हो कर बच्चों को स्कूल पैदल आना जाना पड़ता है, जिसमें हर समय जान का जोखिम बना रहता है। इस अवसर पर सूबेदार ज्योति प्रकाश ठाकुर व हवलदार सुन्दर सिंह ठाकुर ने बताया कि उन्होंने कई बार लोकनिर्माण विभाग के अधिकारियों से रस्सा बदलने तथा बीच-बीच में जेसीबी से मलबा हटाने का अनुरोध किया था लेकिन लोक निर्माण विभाग के अधिकारी तथा सरकार के लोग हमारी कोई बात नहीं सुन रहे हैं।

उन्होंने कहा कि पुल निर्माण के लिए जिला परिषद सदस्य के रूप में आपने जिस प्रकार हर स्तर पर लड़ाई लड़ी और सरकार को इसे स्वीकृत करने के लिए मजबूर किया उसके लिए क्षेत्र की जनता आपकी आभारी है। झूले को ठीक करवाने, रास्ते को ठीक करवाने तथा पुल का निर्माण कार्य जल्दी पूरा करवाने की लड़ाई में भी क्षेत्र की जनता हर संघर्ष में साथ देगी।


लोगों को आ रही कठिनाइयों को घटनास्थल पर जा कर जानने, सुनने व स्वयं अनुभव करने के बाद कुशाल भारद्वाज ने कहा कि किसी भी दुर्घटना को टालने के लिए झूले के रस्से को तुरंत बदलने तथा नदी के दूसरे छोर कून की तरफ के रास्ते को जेसीबी से बार-बार ठीक करने की आवश्यकता है ताकि किसी को भी ढाँक से होकर आते-जाते नदी में गिरने का जोखिम न उठाना पड़े। हालांकि 17 महीने बाद पुल का निर्माण कार्य शुरू होने पर उन्होंने समस्त जनता को बधाई देते हुए कहा कि यह हम सबके एकजुट संघर्षों और द्वाब से ही संभव हो पाया है।

उन्होंने कहा कि नदी के एक छोर पर लगी जेसीबी से काम नहीं चलेगा और यदि पुल को जल्दी तैयार करना है तो नदी के दोनों किनारों पर एक साथ काम चलाया जाये। पिछले वर्ष 9 जुलाई 2023 को भारी बाढ़ के चलते यह डबल लेन पुल बह गया था। उस वक्त से ही नदी के आर-पार आने-जाने के लिए ट्रेफिक की आवाजाही पूरी तरह से बंद है। हजारों लोग तब से ही मुसीबत झेल रहे हैं।


कुशाल भारद्वाज ने बताया की जब यह पुल बहा था तो मैंने स्वयं मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर यहाँ तुरंत ट्रैफिक ब्रिज के निर्माण और फौरी तौर पर वैली ब्रिज लगाने की मांग की थी। जिला परिषद की बैठक में भी इस मुद्दे को उठाया था। लोगों को साथ ले जाकर किसान सभा के माधयम से भी मुख्यमंत्री को ज्ञापन दिये थे और स्वयं भी कई बार घटनास्थल का दौरा किया था। उन्होंने बताया कि जब लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों ने हमें सूचित किया था कि नदी की चौड़ाई ज्यादा होने से वैली ब्रिज नहीं लग पाएगा तो मंडी में अधिकारियों से मिलकर तथा जिला परिषद की मीटिंग में अधिकारियों के फिर से साइट का दौरा करने और वैकल्पिक पुल के लिए एस्टिमेट बनाने के लिए कहा था।

इसके लिए जिला परिषद में सर्वसम्मत प्रस्ताव भी पारित किया गया। उसके बाद तत्कालीन अधिशाषी अभियंता और अन्य अधिकारियों ने फिर से साईट विजिट कर नया प्लान और एस्टिमेट बनाकर भेजा था। इस पर वित्त विभाग ने अड़ंगा लगाया तो लोक निर्माण मंत्री के समक्ष इस मुद्दे को उठाया। लगातार संघर्ष व प्रयासों को जनता से मिले समर्थन के बाद इस पुल को मंजूरी मिली और अंततः इसका काम भी शुरू हुआ।

पुल निर्माण कार्य शुरू होने से समस्त जनता को मुसीबत से जल्दी निजात मिलने की उम्मीद बांध गई है। उन्होंने मांग की कि मार्च से पहले वाहनों के आवागमन के लिए इस पुल को पूरी तरह से तैयार किया जाये।
कुशाल भारद्वाज ने यह भी मांग की कि कून का तर से भेडपाधर तक सड़क की टायरिंग पूरी तरह से उखड़ चुकी है तथा यहाँ पर वाहन चलाना बहुत ही मुश्किल हो रहा है। अतः इस सड़क की पुनः टायरिंग कारवाई जाये।

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