किरण राही /पधर /मण्डी ।
आईजीएमसी शिमला के डॉक्टरों के नेतृत्व में जोगिन्दर नगर में फैले पीलिया की जांच के लिए हाई लेवल सर्विलांस टीम के गठन और इस टीम द्वारा यहां पहुंच कर कार्य संभालने का हिमाचल किसान सभा के राज्य उपाध्यक्ष एवं जिला परिषद सदस्य कुशाल भारद्वाज ने स्वागत किया है।
उन्होंंने कहा कि वे शुरू से ही मांग कर रहे थे कि पीलिया के ईलाज के लिए जोगिन्दर नगर अस्पताल में तुरंत एक्स्ट्रा स्टॉफ भेजने के अलावा इस रोग के फैलने के कारणों की जांच हेतु एक हाई लेवल की टीम गठित होनी चाहिए, ताकि पीलिया फैलने के असली कारणों का पता चल सके और भविष्य में इसकी रोकथाम के लिए उचित कदम उठाए जा सकें। अब देर से ही सही लेकिन सरकार ने हमारी इस मांग पर उचित कदम उठाया है। सरकार इस दिशा में जल्दी कदम उठाती तो पीलिया के फैलाव के मूल कारकों की पहचान करने में और सुविधा होती।
कुशाल भारद्वाज ने बताया कि उन्होंने कल भी देर शाम को अस्पताल का दौरा किया तथा पीलिया फैलने के बाद अस्पताल का उनका यह पांचवां दौरा था। उन्होंने बताया कि वे कल भी हम सभी मरीजों व उनके तीमारदारों से भी मिले। इस अवसर पर उन्होंने एसएमओ डॉक्टर आर एल कौंडल से भी बातचीत की।
संतुष्टि की बात यह है कि पीलिया के मरीजों की संख्या में अब काफी गिरावट आई है, हालांकि अभी भी नए मरीजों का अस्पताल में आना जारी है। उन्होंने देखा कि अन्य बीमारियों के अलावा बरसात में डायरिया, टायफायड, स्क्रब टायफस व सर्पदंश के मरीज भी अस्पताल में भर्ती थे। इसलिए सिविल अस्पताल में बारह महीने पर्याप्त डॉक्टर और अन्य स्टाफ का होना बहुत ही जरूरी है।
उन्होंने कहा कि अस्पताल में जब कैमरों की भीड़ जुटनी शुरू होती है तो राजनीतिज्ञों में कैमरे के सामने कुछ बांटने और श्रेय लेने की होड़ लग जाती है, ऐसे में कुछ ऐसी भी सामग्री बांट दी जाती है जो डुप्लीकेट होती है और उच्च गुणवत्ता वाली नहीं होती है। इसलिए बीमारी के दौरान अस्पताल में बांटी जाने वाली ऐसी चीजों की परख जरूर की जानी चाहिए के क्या वे जरूरी मापदंडों को पूरा भी करती हैं या नहीं।
जोगिन्दर नगर में अन्नपूर्णा सोसाइटी व व्यापार मंडल की तरफ से बिना किसी प्रचार तंत्र के मरीजों और उनके तीमारदारों की सुविधा हेतु निरंतरता में जो कार्य किया जा रहा है वह सराहनीय है, बाकी तो एक दो दिन की छबीलें लगती हैं। कोई चैनलों की भीड़ इकट्ठा कर बस स्टैंड में तो कोई अस्पताल में एक दिन की छबील लगाते हैं। इससे लोगों को सुविधा कम, लेकिन असुविधा ज्यादा होती है।
उन्होंने अपनी इस मांग को फिर दोहराया कि जोगिंदर नगर, लडभड़ोल के सिविल अस्पताल में तथा लांगणा, चौंतड़ा व बरोट पीएचसी में डॉक्टरों के रिक्त पदों को तुरंत भरा जाए। 17 साल से सिविल अस्पताल में जंग खा रही अल्ट्रासाउंड मशीन को चलाने के लिए सोनोग्राफर की नियुक्ति की जाए। भला करने के लिए को ये असली काम करना है, उसके बारे में सत्ता में बैठी कांग्रेस और पिछली बार सत्ता में रही बीजेपी के नेता चुप्पी साध लेते हैं।