दस हजार श्रद्धालुओं ने लगाई हिमरीगंगा सरोवर में श्रद्धा की डुबकी



किरण राही/पधर /मंडी।



हिमाचल प्रदेश के जिला मंडी के विख्यात धार्मिक स्थल हिमरीगंगा में बीस भादो शाही स्नान के लिए प्रातः तड़के चार बजे से ही श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ना शुरू हो गई है। श्रद्धालु माता हिमरीगंगा की विधिवत पूजा अर्चना उपरांत पवित्र स्नान कर  धार्मिक मनोरथ सिद्ध कर रहे हैं।


प्रातः तड़के ब्रह्ममुहूर्त स्नान के लिए मंदिर में एक हजार के करीब महिला पुरुष श्रद्धालुओं की भीड़ यहां पवित्र स्नान के लिए उमड़ी। दोपहर तक पांच से दस हजार श्रद्धालुओं की तादाद पहुंचने की संभावना जताई जा रही है। उपमंडल प्रशासन द्वारा सुरक्षा को लेकर पधर से लेकर डायनापार्क तक जगह जगह पुलिस बल तैनात किया गया है।


नेशनल हाई वे में घटासनी से वाया झटिंगरी डायनापार्क और कुन्नू के साहल से गरलोग वाया डायनापार्क होकर ट्रैफिक वन वे किया गया है। जबकि पधर से हिमरीगंगा स्थल तक यातायात आवाजाही दोनों तरफ से हो रही है। जिससे प्रातः से ही यहां जाम की स्थिति बन गई है। पुलिस बल को यातायात सुचारू रखने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है।


प्रशासन द्वारा श्रद्धालुओं के लिए आवागमन को लेकर एक दर्जन से अधिक सरकारी और निजी बसें यहां तैनात की गई हैं। जबकि सैकडों की संख्या में टैक्सी और अन्य छोटे वाहन दौड़ रहे हैं।



क्षेत्र के अराध्य देवता सियून गहरी और देव माहूंनाग सनोहल मेले में विशेष रूप से शामिल हुए हैं। श्रद्धालु हिमरीगंगा सरोवर में पूजा अर्चना के साथ-साथ दोनों देवता का आशीर्वाद भी प्राप्त कर रहे हैं। दर्जनों भजन मंडलियां भजन कीर्तन के लिए पहुंची हैं।


मेला कमेटी अध्यक्ष एवं पंचायत प्रधान नागेश्वरी देवी और मंदिर कमेटी अध्यक्ष एवं बीडीसी सदस्य लेख राम ठाकुर ने बताया कि पवित्र स्नान को लेकर श्रद्धालुओं में खासा उत्साह देखा जा रहा है। प्रातः से ही श्रद्धालुओं की हजारों की संख्या में भीड़ उमड़ना शुरू हो गई है।




बता दें कि हिमरीगंगा में पवित्र शाही स्नान से जहां चर्म रोग से निजात मिलती है। वहीं निसंतान दंपतियों को संतान प्राप्ति भी होती है। मेले का इतिहास चौहारघाटी के बड़ा देव हुरंग काली नारायण से जुड़ा हुआ है। बताया जाता है कि देव हुरंग नारायण आदिकाल में मानव रूप में यहां नारला के साथ लगते स्नेड गांव में एक बुढ़िया के पास रहते थे।

जिन्हें गौपालक( ग्वाले) का काम दिया गया था। गांव के बहुत सारे बालक उनके साथ घोघरधार में गऊंएं चराते थे। जो गाय को पानी पिलाने के लिए ऊहल नदी ले जाते थे। जबकि बालक नारायण हिमरीगंगा के पास पहाड़ी में अपनी छड़ी से प्रहार करते और जलधारा निकल आती थी। जहां गउओं को पानी पिलाने बाद फिर छड़ी घुमाते और जलधारा बंद हो जाती थी।


इस बात से अनजान ऊहल नदी में मवेशियों को पानी पिलाने के लिए जाने वाले अन्य गौपालकों ने बुढ़िया से नारायण की शिकायत कर दी। कहा कि नारायण मवेशियों को बिना पानी पिलाए ही घर ले आता है। ऐसे में गुस्से में आकर बुढ़िया ने बालक नारायण की पिटाई कर दी। नारायण ने बुढ़िया को यह समझने की लाख कोशिश की कि वह मवेशियों को पानी पीला कर ही घर लाता है। लेकिन बुढ़िया नहीं मानी।


ऐसे में नारायण यहां से अचानक लुप्त हो गया। जनश्रुति है कि उसके बाद नारायण चौहारघाटी के हुरंग गांव में प्रकट हुए। जहां अब हुरंग काली नारायण के नाम से उनका भव्य मंदिर है। बड़ा देव हुरंग नारायण के प्रति मंडी जनपद ही नहीं अपितु राज्य भर के लोगों की भी अपार आस्था है।

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