किरण राही/पधर (मंडी)।
राजबन त्रासदी में अपनों को खोने के गम में पूरा परिवार भीतर तक टूट चुका है। पड़ोसी के घर के आंगन में बैठ कर पूरा परिवार मातम में डूबा हुआ है। उनकी आंखें तबाही का मंजर देख कर कहीं नहीं टिक पा रही है। अपनों की तलाश में आंखे रो रो कर लाल हैं।
बच्चों की मौत से दोनों पिता ज्ञान चंद और खेम सिंह भी बेसुध हैं। उनसे बात करने पर वह कुछ नहीं बोल पा रहे हैं। पूरा परिवार बेसुध पड़ा है और रो रो कर बुरा हाल है। जैसे ही कोई श**व मिलता है तो जोर जोर रोने लगते हैं। गांव पहुंच ढेरा जमाए रिश्तेदार उन्हें संभालते हुए ढांढस बंधा रहे हैं। तबाही का मंजर देखकर गांव के लोगों और रिश्तेदारों की आंखें नम है।
दिल दहला देने वाली इस घटना के बाद परिजन सदमें में हैं। ब्रतू राम ने बताया कि इस घटना में उनकी मां चैत्री देवी और भाभी खुड्डी देवी की दब कर मौत हो गई है। भाभी का श* व अभी तक नहीं मिल पाया है। कौन अपना उनके पास आ रहा है पूरा परिवार इतना टूट चुका है कि राजबन गांव में क्या चल रहा है उन्हें कुछ पता नहीं लग रहा है। उसने बताया कि पांच दिनों से सदमें में चल रहा परिवार संभाला नहीं जा रहा है।
दिल दहलाने वाले घटना ने उम्र भर के लिए उन्हें जख्म छोड़ दिए हैं। चंदन सिंह ने कहा कि घटना के दिन वह लेख लदाख में थे। तीसरे दिन घर पहुंचे। उन्हें घटना की सही वास्तुस्थिती नहीं बताई गई। इतना जरूर कहा गया कि शीघ्र घर पहुंचो।
उनका पूरा परिवार त्रासदी का काल बन गया है घर आकर ही पता चला। अपनों को खोने का पूरी उम्र भर मलाल रहेगा। वह चाहते हैं कि मलबे में दबे सभी श***व मिल जाए। सबकी आत्मा की शांती के लिए सामुहिक क्रिया करम करेंगे। पांचवे दिन के खोज अभियान को सवा छह बजे स्टॉप कर दिया। दो श**व अभी भी मलबे के नीचे हैं शेष हैं।