पिज्जा चीज़ बनाने का निःशुल्क प्रशिक्षण देगा जिला प्रशासन – उपायुक्तउपमंडल स्तर पर 16 अगस्त से शुरू होगा प्रशिक्षण कार्यक्रम

उपायुक्त शिमला अनुपम कश्यप ने कहा कि पिज्जा में इस्तेमाल होने वाले चीज के निर्माण के लिए पूरे जिला शिमला में पशु पालकों हेतु विशेष प्रशिक्षण देने की सुविधा आरंभ की जाएगी। जिला प्रशासन ने फैसला लिया है 16 अगस्त 2025 से जिला के सभी उपमंडल स्तर पर एक कार्यशाला आयोजित होगी जिसमें विशेषज्ञ के माध्यम से इच्छुक पशुपालकों को चीज उत्पादन पर प्रशिक्षण दिया जाएगा।


उपायुक्त आज बचत भवन में पशुपालन विभाग की ओर से “पशुपालन विभाग में अत्याधुनिकरण से गुणवत्तापूर्ण उत्पादन” विषय पर आयोजित विशेष कार्यशाला में अपने विचार साझा कर रहे थे।


उन्होंने कहा कि अभी जो भी चीज पिज्जा में इस्तेमाल हो रहा है उसका आयात अन्य जिला से किया जा रहा है। यह फैसला किया गया है कि उपमंडल स्तर से प्रशिक्षित होने के बाद बेहतर कार्य करने वाले लोगों को जिला स्तर पर विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा। इससे लोगों को रोजगार के अवसर घर द्वार पर ही उपलब्ध हो पाएंगे। जिला प्रशासन की ओर से निःशुल्क प्रशिक्षण लोगों को मुहैया करवाया जाएगा।


उपायुक्त ने कहा कि पशुधन के साथ हमारा सदियों से भावनात्मक नाता रहा है। अगर पशुधन के लिए मूलभूत सुविधाएं मुहैया होंगी तो उत्पादन बेहतर अवश्य ही होगा। इस कार्यशाला के माध्यम से लोगों के सुझावों के हिसाब से नीति निर्माण करना है ताकि मूलभूत चुनौतियों का समाधान हो सके। पशुपालन क्षेत्र में और अधिक लग्न के साथ कार्य करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि लोग पशुपालन विभाग की ओर से किए जा रहे कार्य की फीडबैक तुरंत दें ताकि उसमे और सुधार हो सके। पशुपालक अपने पशु की नियमित निगरानी रखें ताकि किसी रोग की चपेट में आने की संभावना बहुत ही कम रहे।


इस कार्यशाला का उद्देश्य पशुपालन विभाग के अत्याधुनिकरण के माध्यम से उत्पादन को बढ़ाना है। एकीकृत एडवांस तकनीक का इस्तेमाल, जेनेटिक स्टॉक को इम्प्रूव करना,  आधारभूत ढांचे का विकास करना, संतुलित फोस्टरिंग प्रैक्टिस को बढ़ावा और किसानों की आय और ग्रामीण क्षेत्र में आय बढ़ोतरी करने देने पर जोर दिया जाएगा।


कार्यशाला में हित धारकों ने कई सुझाव दिए ताकि पशुपालन क्षेत्र में गुणवत्तापूर्ण उत्पादन हो सके।
***ग्रामीण अर्थव्यवस्था में पशुपालकों का अहम योगदान – अभिषेक वर्मा
इस दौरान अतिरिक्त उपायुक्त अभिषेक वर्मा ने कहा कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था में पशुपालकों का अहम योगदान है। कृषि और पशुपालन एक दूसरे के पूरक हैं। पशुपालकों को अपने पशुओं की देखभाल में कोताही नहीं बरतनी चाहिए। वहीं उन्होंने पशुपालन विभाग के फील्ड स्टाफ को भी निर्देश दिए कि समय पर अपने पशुओं के उपचार के लिए प्राथमिकता से कार्य करें।
बैठक में उपनिदेशक पशुपालन डॉ नीरज मोहन सहित कई गणमान्य मौजूद रहे।


**पशुपालन अग्रणी क्षेत्र
भारत में पशुपालन अग्रणी क्षेत्र है। ग्रामीण क्षेत्रों में 80 फीसदी आबादी पशुपालन पर निर्भर करती है जोकि देश की जीडीपी का 5.5 फीसदी हिस्सा है। भारत दुनिया भर में दूध उत्पादन में पहले स्थान पर तथा गोट मीट व एग उत्पादन में दूसरे स्थान पर है। 2022-23 में लाइवस्टॉक सेक्टर में 17.25 लाख करोड़ रुपए के करीब है। 11.16 लाख करोड़ रुपए के करीब दुग्ध उत्पादन है। देश में प्रति व्यक्ति 471 ग्राम प्रतिदिन दूध की उपलब्धता है जबकि हिमाचल प्रदेश में 640 ग्राम प्रतिदिन उत्पादन है।


***पशुपालन विभाग की चुनौतियां
पशुपालन विभाग में कई चुनौतियां है जिनमें मुख्य तौर पर निम्न उत्पादकता होना जोकि समिति ब्रीडिंग और खराब आनुवंशिक गुण, बुनियादी ढांचे का अंतर जिसमें डेयरी प्रोसेसिंग प्लांट्स तथा कोल्ड चेन लॉजिक्टिस मुद्दे शामिल है। स्वास्थ्य एवं रोग प्रबंधन, फीड एंड फॉडर और मार्केट लिंकेज एवं वैल्यू एडिशन चुनौती है।


***पशुपालन विभाग में संभावित समाधान
पशुपालन विभाग में आनुवंशिक उन्नयन करना जिसमें कृत्रिम गर्भाधान का विस्तारीकरण, आईवीएफ का इस्तेमाल, कृत्रिम भ्रूण पर जोर देकर उत्पादकता को बढ़ावा देने कर जोर दिया जाएगा। परिशुद्ध पशुधन पालन पर कार्य करना जिसमें आईओटी का इस्तेमाल, स्मार्ट कॉलर से निगरानी करना, फीडिंग और मिल्किंग के अनुकूल, ब्लॉकचेन का उपयोग ट्रेसेब्लिटी के लिए, भारत पशुधन पोर्टल पर पंजीकरण, ब्रांडिंग के लिए जीआईएस का क्रियान्वयन, पहाड़ी गाय के घी की ब्रांडिंग, चरागाह ड्रोन के माध्यम से निगरानी पर कार्य करना है।

फीड एंड फोडर डेवलपमेंट पर कार्य करना है। स्वास्थ्य देखभाल और रोग नियंत्रण के तहत एफएमडी और पीपी आर को 2030 तक समाप्त करना, लैब्स का विस्तारीकरण, रोगों के प्रति  सामुदायिक जागरूकता, जेनेरिक दवाइयों का इस्तेमाल, स्वदेशी उपचार और को बढ़ावा देने पर जोर दिया जाएगा।

इसके अतिरिक्त, रोग नियंत्रण के लिए जैव सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा जिसमें पशुधन में रोगों के प्रसार को रोकना, जैव-बहिष्करण, जैव-संपर्क और जैव-प्रबंधन पर कार्य और पर्यावरणीय संदूषण को कम करने पर फोकस किया जाएगा। आधारभूत ढांचे का अत्याधुनीकरण करना जिसमें अपग्रेड डेयरी प्रसंस्करण और कोल्ड चेन, गैर-भगवान दूध प्रसंस्करण स्थापित करना, बूचड़खानों को अपग्रेड करना, क्लाइमेट रेसिलिएंट पशु शेड को बढ़ावा देना शामिल है।

मार्केट लिंकेज एवं वैल्यू एडिशन पर कार्य किया जाएगा। इसके साथ संतुलित एवं वेस्ट मैनेजमेंट और पशु कल्याण पर जोर दिया जाएगा। नीति सहयोग एवं डेटा सिस्टम के तहत किसान क्रेडिट कार्ड देना, नेशनल डिजिटल लाइव स्टॉक मिशन के तहत रियल टाइम निगरानी पर कार्य किया जाएगा।


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