नैरचौक मेडिकल कॉलेज में भर्ती थीं AAS24 के संपादक लीलाधर चौहान की माता जी, फिर भी माँ ने बेटे से कहा — “मेरी बीमारी ज़्यादा नहीं है, पहले सिराज की जनता का दुख-दर्द दिखाओ, उनके आँसू पोछो।”
यह दृश्य केवल ममता नहीं, बलिदान और जनसेवा का प्रतीक बन गया।
एक ओर सिराज में प्राकृतिक आपदा ने कहर बरपाया, दूसरी ओर बेटे की माँ अस्पताल में जीवन से संघर्ष कर रही थीं — फिर भी लीलाधर चौहान लोगों की मदद में जुटे रहे।

22 जुलाई को जब सिराज में भारी बारिश और तबाही के बीच राहत पहुंचाने के लिए हम वहाँ थे, तब लीलाधर जी हमारे साथ कंधे से कंधा मिलाकर जरूरतमंदों के बीच सहायता पहुँचा रहे थे।
लेकिन आज, 25 जुलाई को यह अत्यंत दुखद समाचार मिला कि उनकी माता जी का निधन हो गया।

यह समाचार सुनकर हम सभी स्तब्ध हैं।
एक माँ का ऐसा त्याग, एक बेटे की जनसेवा के प्रति निष्ठा — दोनों को सलाम।
आपकी जनभावना और माता जी के असीम प्रेम को देख कर हमारी आँखें नम हैं।
ईश्वर दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करें।
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