कोलडैम प्रभावित क्षेत्र के लोगों को सुरक्षा मुहैया करवाना हमारी प्राथमिकता- उपायुक्त*                        *- सतलुज नदी में बढ़ते जल स्तर से हुए नुक्सान पर लोक निर्माण विभाग ने दी रिपोर्ट*                                              *- एनटीपीसी ने  सतलुज बेसिन पर सिल्ट के जमाव पर दी रिपोर्ट*              *- रिपोर्ट का अध्ययन विशेषज्ञ टीम से करवाएगा जिला प्रशासन*

सुन्नी क्षेत्र में सतलुज नदी को डिसिल्ट करने को लेकर विस्तृत समीक्षा बैठक उपायुक्त अनुपम कश्यप की अध्यक्षता में आयोजित की गई।बैठक में एनटीपीसी और लोक निर्माण विभाग ने अपनी-अपनी रिपोर्ट उपायुक्त को सौंपी। अब इन रिपोर्ट का विस्तृत अध्ययन करवाया जाएगा। उसके उपरांत ही डिसिल्ट करने के कार्य की योजना बनाई जाएगी।


उपायुक्त अनुपम कश्यप ने कहा कि पिछले तीन वर्ष से सुन्नी क्षेत्र में सतलुज नदी के जलस्तर के बढ़ने और मानसून में आसपास के क्षेत्रों के लिए खतरा पैदा होता जा रहा है। कोलडेम प्रभावित क्षेत्र के लोगों की सुरक्षा के लिए प्रशासन व्यापक स्तर पर कदम उठाने जा रहा है। इसी कड़ी में एनटीपीसी और लोक निर्माण विभाग की रिपोर्ट को आधार बनाकर भविष्य की योजना तैयार की जाएगी। रिपोर्ट का अध्ययन विशेषज्ञ से करवाया जाएगा। इसके बाद ही आगामी कार्यवाही अमल में लाई जाएगी।


उन्होंने कहा कि हमें बढ़ते जलस्तर की चुनौतियों के समाधान के लिए भविष्य की दृष्टि से कदम उठाने होंगे। इसके लिए धरातल पर विस्तृत अध्ययन किया जा रहा है। इसी माह सुन्नी में सतलुज नदी को डिसिल्ट करने को लेकर फिर से बैठक की जाएगी। डैम की वजह से कई गांवों को खतरा पैदा हो गया है। लोगों की जमीने बढ़ते जल स्तर में समा रही है।


बैठक में अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी पंकज शर्मा सहित एसडीएम सुन्नी, एनटीपीसी के आला अधिकारी व अन्य विभागों के अधिकारी मौजूद रहे।
*लोक निर्माण विभाग की रिपोर्ट*
लोक निर्माण विभाग ने अपनी रिपोर्ट में कोलडैम बनने के बाद सतलुज नदी के तल में किस तरह के बदलाव आए है, इसके बारे में विस्तार से हर पहलु का जिक्र किया है। 30 मार्च, 2015 में कोलडैम की कमीशनिंग हुई थी। इस डैम की आपरेशन अवधि 30 वर्ष है।

इसमें  न्यूनतम इलीवेशन लेवल 636 मीटर तय किया गया है। वर्ष 2018-19 में डैम के कारण नदी में जल स्तर बढ़ने और सिल्ट एकत्रित होने से पहली बार आधारभूत ढांचे तथा चाबा हाईड्रो पाॅवर को नुकसान पहुंचा था। करीब 70 मीटर सस्पेंशन ब्रिज चाबा का क्षतिग्रस्त हुआ था। शिमला मंडी मार्ग पर कई स्थानों पर भारी अपरदन हुआ था।

एनटीपीसी ने 172 लाख रुपये उक्त मार्ग की मरम्मत के लिए जमा करवाए थे। ये मरम्मत कार्य 2019 में पूरा कर लिया गया था।  इसके साथ ही वर्ष 2023 में फिर से चाबा ब्रिज पूरी तरह टूट गया। इसकी मरम्मत के लिए करीब 15 करोड़ रूपये का खर्च आंका गया।  इसी वर्ष सुन्नी में स्थित सरकारी आईटीआई परिसर में काफी नुकसान हुआ। वन विभाग का विश्राम गृह और गौशाला भी नदी की चपेट में आ गई।

शिमला मंडी मार्ग इस वर्ष भी कई जगह से टूट गया। वहीं थली ब्रिज भी जल स्तर बढ़ने की वजह से क्षति ग्रस्त हुआ। इसका मरम्मत कार्य राज्य सरकार ने डेढ़ करोड़ रूपये में करवाया। वर्ष 2025 में 21 जुलाई को थली ब्रिज पर करीब पांच लाख रूपये का नुकसान हुआ। फिर 13 अगस्त को काफी नुकसान हुआ। ब्रिज के रेजिंग डेक की मरम्मत के लिए 8 करोड़ रूपये का अनुमानित खर्च आंका गया है। शिमला मंडी रोड़ की मरम्मत के लिए 29 करोड़ रुपए की अनुमानित लागत है।


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