बिंदिया ठाकुर, सुजानपुर
महाकवि कालिदास ने अपने महाकाव्य ‘कुमारसंभव’ में लिखा है-‘शरीरमाद्यं खलु धर्म साधनम्’। अर्थात जीवन में अपने कर्तव्यों(धर्म) को पूरा करने के लिए एक स्वस्थ और निरोग शरीर का होना सबसे महत्वपूर्ण है। जब शरीर स्वस्थ होता है तभी व्यक्ति अपने अन्य लक्ष्यों को प्राप्त कर सकता है। इस दृष्टि से शरीर का पोषण करना, उसकी रक्षा करना और उसे निरोगी रखना मनुष्य का सर्वप्रथम कर्तव्य है। उक्त विचार सीडीपीओ टौणी देवी कुलदीप सिंह चौहान ने पोषण माह के अंतर्गत ग्राम पंचायत पौहंज में आयोजित वृत स्तरीय जागरूकता शिविर में स्थानीय समुदाय से संवाद करते हुए व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि मानव शरीर एक रथ के समान है जो निरंतर चलता रहता है और हमारे अस्तित्व को भी गतिमान रखता है।
इसमें रोग अथवा व्याधि के कारण कोई अवरोध आ जाए तो सारा दैनिक जीवन अस्त व्यस्त हो जाता है। उचित पोषण शरीर को स्वस्थ रखने का सबसे पहला और सबसे सशक्त साधन है। एक कहावत भी है-तुम क्या हो यह तुम्हारे भोजन से पता चलता है। प्रदूषण रहित आहार विहार को हमारे ग्रंथो में स्वास्थ्य के लिए श्रेयस्कर माना गया है। आज जब प्रदूषण के प्रभाव से पत्थर तक अपनी चमक खो रहे हैं तब मानव पर प्रदूषण का कैसा प्रभाव होता होगा, इसका अनुमान सहज ही लगाया जा सकता है।
ऐसे में आवश्यक हो जाता है कि हम स्थानीय एवं मौसमी आहार को अधिमान दें। स्थानीय एवं मौसमी आहार प्राय: रासायनिक खादों और कीटनाशकों के दुष्प्रभाव से मुक्त होता है।उचित पोषण के साथ-साथ नियमित व्यायाम, सही मात्रा में नींद और सक्रिय जीवन शैली स्वस्थ शरीर एवं मन के लिए अति आवश्यक हैं। वैज्ञानिक शोध भी हमारे इस पुरातन ज्ञान की पुष्टि करते हैं।
इस अवसर पर विशेष रूप से उपस्थित ऊहल की वृत्त पर्यवेक्षक श्रीमती किरण कुमारी ने सितंबर में आयोजित होने वाले पोषण माह के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हिंदू परंपरा में सितंबर से नवंबर तक के काल को त्योहारी मौसम कहा गया है। सबसे बड़ा पर्व स्वस्थ पोषण है अत: इस त्योहारी सीजन का आरंभ पोषण माह के साथ सितंबर में होता है। इस अवसर पर पोषण प्रदर्शनी का भी आयोजन किया गया। इससे पूर्व पंचायत प्रधान श्रीमती रीना कुमारी और उप प्रधान श्री अजमेर सिंह ने आए हुए लोगों का परंपरा पूर्वक सम्मान किया और उनका धन्यवाद किया
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