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औपनिवेशिक ब्रिटिश सत्ता की कठोरतम यातनाएं भी मातृभूमि के प्रति उनके समर्पण को कम नहीं कर सकीं और उनका बलिदान तथा प्रतिबद्धता विकसित भारत के निर्माण के लिए प्रकाश स्तंभ का काम करेगी। “माँ भारती के सच्चे सपूत वीर सावरकर जी को उनकी जयंती पर सादर श्रद्धांजलि। विदेशी सरकार की कठोरतम यातनाएं भी मातृभूमि के प्रति उनकी भक्ति को डिगा नहीं सकीं।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बुधवार को हिंदुत्व के प्रतीक विनायक दामोदर सावरकर को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की है। जयंती के मौके पर वीर सावरकर को श्रद्धांजलि देते हुए पीएम मोदी ने कहा कि कृतज्ञ राष्ट्र उनके अदम्य साहस और संघर्ष की गाथा को कभी नहीं भूल सकता। उन्होंने सावरकर को “भारत माता का सच्चा सपूत” भी कहा है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि औपनिवेशिक ब्रिटिश सत्ता की कठोरतम यातनाएं भी मातृभूमि के प्रति उनके समर्पण को कम नहीं कर सकीं और उनका बलिदान तथा प्रतिबद्धता विकसित भारत के निर्माण के लिए प्रकाश स्तंभ का काम करेगी। “माँ भारती के सच्चे सपूत वीर सावरकर जी को उनकी जयंती पर सादर श्रद्धांजलि। विदेशी सरकार की कठोरतम यातनाएं भी मातृभूमि के प्रति उनकी भक्ति को डिगा नहीं सकीं। कृतज्ञ राष्ट्र स्वतंत्रता आंदोलन में उनके अदम्य साहस और संघर्ष की गाथा को कभी नहीं भूल सकता। देश के लिए उनका त्याग और समर्पण विकसित भारत के निर्माण में मार्गदर्शक बना रहेगा”, पीएम मोदी ने अपने ‘एक्स’ पोस्ट में लिखा।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी वीर सावरकर को उनकी जयंती के अवसर पर श्रद्धांजलि अर्पित की। अपने एक्स पोस्ट में अमित शाह का मानना था कि वीर सावरकर ने अपना पूरा जीवन भारतीय समाज को “अस्पृश्यता के अभिशाप से मुक्त करने और इसे एकता के मजबूत सूत्र में बांधने” के लिए समर्पित कर दिया।
मातृभूमि की स्वतंत्रता के लिए साहस और संयम की पराकाष्ठा पार करने वाले स्वातंत्र्यवीर सावरकर जी ने राष्ट्रहित को अखिल भारतीय चेतना बनाने में अविस्मरणीय योगदान दिया। 1857 के स्वतंत्रता संग्राम को अपनी लेखनी से ऐतिहासिक बनाने वाले सावरकर जी को अंग्रेजों की कठोर यातनाएं भी डिगा नहीं सकीं। ‘एक्स’ पोस्ट में कहा गया है, “हम वीर सावरकर जी की जयंती पर कृतज्ञ राष्ट्र की ओर से उन्हें अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं, जिन्होंने अपना पूरा जीवन भारतीय समाज को अस्पृश्यता के अभिशाप से मुक्त कराने और इसे एकता के मजबूत सूत्र में बांधने के लिए समर्पित कर दिया।”
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