रक्कड़,9 नवंबर (पूजा ): यह विचार का विषय हैं कि चित्त में अशांति या आभाव का क्या कारण हैं. क्या हम अनेक प्रकार के अभावों से घिरे हुए हैं. वह कौन सी वस्तु है जिसके प्राप्त होते ही हमारे सारे आभाव मिट जायेंगे. निश्चय ही इस प्रश्न का उत्तर होगा परमात्मा. जब तक ईश्वर का सानिध्य नहीं मिलता तब तक अभावों से मुक्ति नहीं हो सकती ।
उक्त अमृत वचन श्रीमद् भागवत कथा के समापन सत्र में परम श्रद्धेय स्वामी अतुल कृष्ण जी महाराज ने रक्कड़ में व्यक्त किऐ. उन्होंने कहा कि श्रीमद भागवत कथा मुक्ति का शंखनाद है. अपने अन्तःकरण में उत्पन्न परमात्मा की आवाज हमें अवश्य सुननी चाहिए. सर्व साक्षी रूप प्रभु सबके दिल में बैठा है. हमारे निर्णय, कार्य, भावना के साथ सहमति या असहमति का स्वर वह अवश्य देता है. हम उसके स्वर को सुने, समझें और अपने उज्ज्वल भविष्य के लिए आगे बढ़ें. हम अपने भाग्य के विधाता स्वयं ही हैं. किसी को व्यर्थ दोष देना उचित नहीं ।
महाराजश्री ने कहा कि जो ईश्वर घट में है वही बाहर है. मछली तभी तक स्वतंत्र है जब तक कांटे में लगे स्वादिष्ट पदार्थ से दूर है. वह जब कांटे में लगे पदार्थ का स्वाद लेने को तत्पर होती है तो अपने प्राण गंवा कर नाश को प्राप्त हो जाती है. इसी प्रकार पतंगा दीपक के दृश्य सुख में आसक्त होकर अपना अंत कर लेता है. हमें सदैव याद रखना चाहिए कि संसार के सभी विषय कालरूप ही हैं।
आज कथा में भगवान श्रीकृष्ण के विवाह, पाण्डवों का राजसूय यज्ञ, भगवान दत्तात्रेय के चौबीस शिक्षा गुरुओं का उपदेश, भगवान श्रीकृष्ण का स्वधाम गमन एवं राजा परीक्षित को मोक्ष प्राप्ति प्रसंग लोगों ने अत्यंत श्रद्धा से सुना. इस अवसर पर प्रमुख रूप से सर्वश्री प्रकाश चंद, देशबंधु , विकास शर्मा, अनिक शर्मा, रविन्द्र शर्मा, विजय शर्मा, अक्षय शर्मा, विमल शर्मा, रोहित शर्मा, अमित शर्मा, सुमित शर्मा, रमेश चंद, अश्विनी शर्मा, राजिंदर पाल ठाकुर, पुष्पा शर्मा, चंपा देवी, करुणा शर्मा, अर्पणा शर्मा, मंजु लता शर्मा, पूजा ठाकुर, सुदर्शना ठाकुर, किरण ठाकुर, मीनाक्षी, शबनम शर्मा, सोनिया शर्मा, अनु शर्मा, अमिता, आंचल, सुलक्षणा इत्यादि उपस्थित रहे ।