रक्कड़,7 नवंबर (पूजा ): ईश्वर की शरण लेने से मनुष्य का अवश्य कल्याण होता है. जन्म लेने से बेहतर है इसी जन्म में परम की सिद्धि हो जाए. संसार की चर्चा पराधीन बनाती है, पतन की ओर ले जाती है. जबकि भगवान की चर्चा मुक्ति, संतुष्टि, निर्भयता एवं निश्चिंतता देने वाली है. भगवान की कथा के अतिरिक्त ऐसा कोई साधन नहीं है जो भगवान से अभिन्नता का बोध करा दे. जब हृदय में ज्ञान के प्रति आदर बढ़ता है तो संसार में जो भी नश्वर है उसका स्वतः ही त्याग हो जाता है ।
उक्त अमृत वचन श्रीमद् भागवत कथा के पंचम दिवस में परम श्रद्धेय स्वामी अतुल कृष्ण जी महाराज ने रक्कड़ में व्यक्त किऐ. उन्होंने कहा कि नर-नारी में जो बस रहा है, वह नारायण हैं. रोम-रोम में जो रम रहा है, वह राम ही तो हैं. शरीर का नाश होता है फिर भी जिसे काल नहीं मार सकता वह अकाल पुरुष है. परमात्मा को प्रेम करने से कर्म बंधनों से छुटकारा मिल जाता है. मन तीन प्रकार का होता है।
पीपल के पत्ते जैसा, वृक्ष जैसा और पहाड़ जैसा. जिनका पहाड़ जैसा मन होता है वे अचलमना हैं. जो मनुष्य की कोख से जन्म लेकर मनुष्य से प्यार नहीं कर सकता वह भगवान को भी प्यार नहीं कर सकता है. मनुष्य सेवा के द्वारा जगत का, प्रेम के द्वारा भगवान का एवं ज्ञान के द्वारा अपना उपकार कर सकता है ।
महाराजश्री ने कहा कि जब तक व्यक्ति अपने धर्म को नहीं पहचानेगा तब तक वह अपने धर्म की रक्षा भी नहीं करेगा. श्रीमद् भगवद् गीता के श्लोक पाठ करने से, हरि नाम संकीर्तन करने से एवं ब्रह्म ज्ञानी संतो के दर्शन मात्र से करोड़ों तीर्थों का फल मिलता है. धर्म चक्षु, दिव्य चक्षु और ज्ञान चक्षु यह तीन प्रकार के चक्षु होते हैं. ज्ञान चक्षु से ही परमात्मा का दर्शन होता है।
आज कथा में नंद महोत्सव, पूतना वध, माखन चोरी, कालिय नाग मर्दन एवं गोवर्धन धारण लीला का विस्तृत वर्णन श्रोताओं में श्रवण किया. इस अवसर पर प्रमुख रूप से सर्वश्री प्रकाश चंद, देशबंधु , विकास शर्मा, अनिक शर्मा, रविन्द्र शर्मा, विजय शर्मा, अक्षय शर्मा, विमल शर्मा, रोहित शर्मा, अमित शर्मा, सुमित शर्मा, रमेश चंद, अश्विनी शर्मा, पुष्पा शर्मा, चंपा देवी, करुणा शर्मा, अर्पणा शर्मा, मंजु लता शर्मा, पूजा ठाकुर, सुदर्शना ठाकुर, किरण ठाकुर, मीनाक्षी, शबनम शर्मा, सोनिया शर्मा, अनु शर्मा, अमिता, सुलक्षणा इत्यादि उपस्थित रहे ।