जिसके जीवन में श्रद्धा है उसका हृदय रसयुक्त, ज्ञाननिष्ठ, प्रेमपूर्ण एवं कोमल हो जाता है: स्वामी अतुल कृष्ण जी महाराज


 रक्कड़  6 नवंबर (पूजा ): ईश्वर का अंश और सहज सुख राशि होते हुए भी अपने आत्म साम्राज्य में मनुष्य प्रतिष्ठित नहीं हो पा रहा है, यह अत्यंत आश्चर्य की बात है. प्रतिदिन प्राणी यमलोक को जा रहे हैं, फिर भी शेष लोग यहां स्थाई रहने की इच्छा करते हैं, यह दूसरा बड़ा आश्चर्य है. ब्रह्म सुख को छोड़कर जगत के विनश्वर पदार्थ, परिस्थितियों और व्यक्तियों के मोह में पड़े रहना कोई बुद्धिमानी नहीं है ।

उक्त अमृत वचन श्रीमद् भागवत कथा के चतुर्थ दिवस में परम श्रद्धेय स्वामी अतुल कृष्ण जी महाराज ने रक्कड़ में व्यक्त किऐ. उन्होंने कहा कि सबसे बड़ा ज्ञानवान, सूझवान, प्रज्ञावान वही है जो जीवन का सूरज डूबने से पहले प्राणाधार में अपनी चेतना को जोड़ दे. दो औषधियों का मेल आयुर्वेद का योग है. दो अंको का मेल गणित का योग है ।

चित्तवृति का निरोध पतंजलि का योग है. परंतु सभी परिस्थितियों में सम रहना भगवान श्री कृष्ण का समत्व योग है. अनदेखी वस्तु या व्यक्ति पर विश्वास करना यह श्रद्धा है. जिसके जीवन में श्रद्धा है उसका हृदय रसयुक्त, ज्ञाननिष्ठ, प्रेमपूर्ण एवं कोमल हो जाता है. श्रद्धा ही हृदय में परमात्मा को प्रकट करती है. श्रद्धा पापी को निष्पाप, नास्तिक को आस्तिक, अभक्त को भक्त, दुराचारी को सदाचारी, निर्बल को बलवान, तथा जिज्ञासु को ब्रह्मज्ञान संपन्न बना देती है ।


  महाराजश्री ने कहा कि संसार के विषयों में थोड़ा सुखाभास होता है. इन विषयों से जो रस आता है उससे विकारों को उत्तेजना मिलती है, जो बल, बुद्धि, तेज एवं स्वास्थ्य को नष्ट करने वाला होता है. जबकि भगवद् रस, भगवन्नाम, भगवद् ध्यान से जीवन में दैवी संपदाओं का अवतरण होता है. हरि नाम भव रोग मिटाने की सर्वोत्तम औषधि है. जगत एवं भगत का मेल नहीं होता. आप साधना करें तो आपकी पत्नी आपको भगवद् मार्ग पर चलने से रोकेगी ।

पत्नी को उसका पति रोकेगा. यदि दोनों भगवान के मार्ग पर चलेंगे तब कुटुंब के लोग कहेंगे कि यह दोनों पागल हो गए हैं. यदि सारा कुटुंब भगवान के मार्ग पर आगे बढ़ता है तो पास पड़ोस के लोग कहते हैं कि यह सारा कुटुंब पागल हो गया है. पर याद रखिए आज जो आपको भगवान के भजन से रोक रहे हैं वही लोग कल आपकी प्रशंसा करेंगे, आपसे शुभेच्छाएं मांगेंगे. आज कथा में गजेंद्र मोक्ष, श्रीवामन अवतार, मत्स्य अवतार, श्रीरामावतार एवं भगवान श्रीकृष्ण के प्राकट्य का प्रसंग लोगों ने बड़ी श्रद्धा से सुना ।

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