रक्कड़ 07,अप्रैल (पूजा): ईश्वर की आराधना में मनुष्य का मंगल छिपा हुआ है. जीवन के सत्य और उसकी गहराई को बिना श्रीमद् भागवत के ज्ञान के समझना मुश्किल है. बुरा आदमी आग लगाता है जबकि अच्छा आदमी पानी की बाल्टी लेकर आता है. परंतु आज का अच्छा आदमी पानी की बाल्टी भी लेकर नहीं आता सिर्फ वह कहता ही रहता है कि बुरा हो रहा है, यह नहीं होना चाहिए ।

उक्त अमृतवचन श्रीमद भागवत कथा के प्रथम दिवस में परम श्रद्धेय अतुल कृष्ण जी महाराज ने चौली, रक्कड़ में व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि जीवन में सारे कार्यों के परिणाम इस बात पर निर्भर करते हैं कि हम सफलता की आशा से भरे हुए हैं या विफलता के खयाल से डरे हुए हैं. बहुत आशा से भरे हुए लोग थोड़ी सी सामर्थ्य से इतना कुछ कर पाते हैं कि जितना बहुत सामर्थ्य के रहते हुए भी निराशा से भरे हुए लोग नहीं कर पाते. सामर्थ्य मूल्यवान नहीं है, असली संपत्ति है।
आशा एवं आत्मविश्वास. जिंदगी में एक-एक कदम का हिसाब लगाने वाले लोग हजारों मील चल जाते हैं और हजारों मील का हिसाब लगाने वाले लोग एक कदम भी नहीं उठा पाते, डर के मारे वहीं बैठे रह जाते हैं. हम सोचते हैं कि एक करोड़ रुपए के लिए एक-एक लाख वाले सौ लोग मिल जाएं तो काम हो जाएगा. एक-एक लाख देने वाले सौ लोग नहीं खोजे जा सकते लेकिन एक-एक रुपया देने वाले एक करोड़ लोग आज ही खोजे जा सकते हैं. हम एक-एक कदम की बात सोचें सौ कोस की नहीं ।

महाराजश्री ने कहा कि अमीर के महल में जगह कम पड़ सकती है पर गरीब के झोपड़े में नहीं. अमीर के महल में आदमी से गधे जैसा व्यवहार होता है पर गरीब की झोपड़ी में गधे से भी आदमी जैसा व्यवहार होता है. आज कथा में भक्ति की महिमा, गोकर्णोपाख्यान, राजा परीक्षित को श्रृंगी ऋषि का श्राप, भगवान शुकदेव का आगमन, कर्दम एवं देवहूति का चरित्र एवं भगवान कपिल के अवतार का प्रसंग सभी ने अत्यंत श्रद्धा से सुना. इस अवसर पर कथा के मुख्य यजमान सर्वश्री प्रकाश चंद्र ठाकुर, राजिन्दर पाल सिंह पम्मा, मानचंद ठाकुर, सुभाष ठाकुर, कुलभूषण ठाकुर, सुरेंद्र राणा, गुलशन कुमार राणा, साहिल ठाकुर, कृष्णव ठाकुर, कार्तिक राणा, निखिल ठाकुर, अनमोल राणा, किरण ठाकुर, संतोष कुमारी, शीला देवी, सुदेश राणा, शुभलता ठाकुर, सुमिता ठाकुर, कोमल ठाकुर सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे. कथा के आयोजक राजिंदर पाल सिंह पम्मा ने बताया कि कथा प्रतिदिन एक से चार बजे तक 13 अप्रैल तक जारी रहेगी।
