प्रागपुर, 19 अक्टूबर ( पूजा ): केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के बलाहर स्थित वेदव्यास परिसर व ठाकुर राम सिंह इतिहास शोध संस्थान नेरी (हमीरपुर) के संयुक्त तत्वावधान में शनिवार को दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारंभ किया गया।”भारतीय ज्ञान परंपरा में हिमाचल प्रदेश का अवदान” विषय पर आरंभ हुए इस राष्ट्रीय सेमिनार में देश भर के कई विद्वान हिस्सा ले रहे हैं।
जानकारी देते वेदव्यास परिसर की निदेशक प्रो सत्यम कुमारी एवं इस सेमिनार के संयोजक व शिक्षा विभाग के सहायकाचार्य डॉ मुकेश शर्मा ने बताया कि इस दो दिवसीय सेमिनार में देश के विभिन्न राज्यों के विद्वानों ने अपना पर वचन हेतु रजिस्ट्रेशन करवा ली है।शनिवार को आरंभ हुए इस सेमिनार के मुख्यातिथि हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय के शाहपुर परिसर के निदेशक प्रोफेसर भागचंद चौहान रहे।
उन्होंने अपने संबोधन में भारतीय संस्कृति, ज्ञान-विज्ञान और प्राचीन वैज्ञानिकों की खोजों पर गर्व करने का आह्वान किया। उन्होंने जोर देकर कहा कि हमें इस ज्ञान को वर्तमान समय में भी प्रायोगिक रूप से शोध करना चाहिए। प्रो. चौहान ने हिमाचल प्रदेश को ऋषि-मुनियों की भूमि बताते हुए मनु, महर्षि वेदव्यास और अन्य ऋषियों के योगदान का उल्लेख किया।
वहीं विशिष्ट वक्ता के रूप में केंद्रीय विश्वविद्यालय हिमाचल प्रदेश के देहरा स्थित सप्तसिंधु परिसर के डॉ. किस्मत कुमार ने भाग लिया। उन्होंने भारतीय संविधान में निहित भारतीयता की भावना पर प्रकाश डाला और कहा कि ‘भारत’ शब्द ‘इंडिया’ की तुलना में अधिक गहरा भावनात्मक जुड़ाव रखता है। डॉ. कुमार ने राम मंदिर निर्माण के दौरान हुई घटनाओं का उदाहरण देते हुए भारत की समरसता और सहयोग की परंपरा पर बल दिया।
कार्यक्रम में ठाकुर राम सिंह इतिहास शोध संस्थान के निदेशक चेतराम गर्ग भी इस सेमिनार में विशेष रूप से उपस्थिति रहे। केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति आचार्य पी एन शास्त्री भी ऑनलाइन माध्यम से इस सेमिनार में शामिल हुए। उन्होंने भारतीय ज्ञान-विज्ञान के संरक्षण, समृद्धि और प्रसार की आवश्यकता पर बल दिया।
केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के रघुनाथ कीर्ति परिसर के निदेशक आचार्य पी.वी.पी.सुब्रमण्यम ने भी ऑनलाइन माध्यम से संगोष्ठी को संबोधित किया।
डॉ मुकेश ने बताया कि इस राष्ट्रीय सेमिनार में हिमाचल प्रदेश सहित अन्य राज्यों से कुल लगभग 70 प्रतिभागियों ने अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए। कार्यक्रम में ऑनलाइन और प्रत्यक्ष दोनों माध्यमों से सत्रों का संचालन किया गया, जिससे अधिक से अधिक विद्वानों को अपना शोध प्रस्तुत करने का अवसर मिला।
कार्यक्रम की अध्यक्षता परिसर के प्रभारी निदेशक डॉ. श्याम बाबू ने की। उन्होंने कुछ रोचक उदाहरणों के साथ हिमाचल प्रदेश की प्राचीन ज्ञान-विज्ञान परंपरा को रेखांकित किया। उन्होंने बताया कि कैसे संस्कृत साहित्य और तंत्रागम के प्रसिद्ध विद्वान अभिनव गुप्त के गुरु शंभू नाथ हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा के निवासी थे। डॉ. बाबू ने यह भी उल्लेख किया कि मनु, पाराशर, व्यास, वशिष्ठ और मार्कण्डेय जैसे महान ऋषियों ने इसी भूमि से ज्ञान प्राप्त किया और फिर पूरे विश्व को ज्ञान दिया।
इसी सन्दर्भ प्रवास पर गए विद्याशाखा अध्यक्ष प्रो शीश राम ने भी संगोष्ठी के कशल संचालन के लिए शुभकामनाएं प्रेषित की। कार्यक्रम के दौरान सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किया गया।जिसमें वेदव्यास परिसर के छात्र एवं छात्राओं द्वारा विभिन्न प्रस्तुतियाँ दी गईं।
इस अवसर पर परिसर के काफी संख्या में शिक्षक एवं छात्र छात्राएं मौजूद रहे।