मंडी
प्रशासन के बेहतरीन प्रयासों से काशी की तर्ज पर छोटी काशी में पहली बार भव्य ब्यास आरती का आयोजन किया गया। खास बात यह रही कि इस ब्यास आरती को काशी से ही आए विद्वान पंडितों ने पूरे विधि विधान से किया। यह वही पंडित हैं जो काशी में गंगा आरती करते हैं। इनमें अधिकतर हिमाचली हैं।
जिला प्रशासन को जब इस बारे में पता चला तो उन्होंने तुरंत इनसे संपर्क करके इन्हें यहां गंगा की तर्ज पर ब्यास आरती के लिए बुलाया। आए हुए पंडितों में शिमला से युगल शर्मा प्रमुख थे, जिनके नेतृत्व में ही बाकी टीम यहां आई थी। इनके साथ सुंदरनगर के अजीत शर्मा, शिमला के मोहित शर्मा, बिलासपुर के वासन कानव शर्मा और उत्तराखंड के हेमंत शर्मा मौजूद रहे। इन्होंने पहले धर्मपुर विधायक चंद्रशेखर, एपीएमसी के चेयरमैन संजीव गुलेरिया और डीसी मंडी के हाथों ब्यास नदी का विधिवत पूजन करवाया। उसके उपरांत ब्यास नदी की भव्य आरती उतारी।
युगल शर्मा ने बताया कि वे काशी से धर्म शास्त्र में पीएचडी कर रहे हैं और लंबे समय से काशी में ही रह रहे हैं। गंगा सेवा निधि के साथ जुड़े हैं और बीते 8 वर्षों से गंगा आरती कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि वे हिमाचल प्रदेश में पहली बार किसी नदी की आरती उतारने आए हैं। यहां प्रशासन ने जो प्रयास किए हैं उसे देखकर ऐसा बिल्कुल भी नहीं लगा कि वो काशी से कहीं बाहर हैं। छोटी काशी में उन्हें काशी जैसी ही अनुभूति हुई और ब्यास आरती में आनंद आया।
डीसी अपूर्व देवगन ने बताया कि इस बार शिवरात्रि में प्रशासन ने सभी के सहयोग से कुछ नया करने की सोची। इसलिए काशी की तर्ज पर छोटी काशी में भी इस भव्य आरती का आयोजन करवाया गया। यह सभी के प्रयासों से सफल आयोजन हुआ है। भविष्य में भी इस तरह के प्रयास जारी रखे जाएंगे।
ब्यास आरती में धर्मपुर विधायक चंद्रशेखर भी विशेष रूप से शामिल हुए और विधिवत पूजन के बाद ब्यास आरती में भाग लिया। उन्होंने प्रशासन के प्रयासों को सराहा और इसके लिए बधाई दी। उन्होंने कहा कि ऐसे आयोजन जनसहभागिता से ही संभव हो पाते हैं और मंडी की जनता ने इसमें पूरा साथ दिया है।
ब्यास आरती में बड़ी संख्या में शहर और आस-पास के क्षेत्रों से आए लोगों ने भाग लिया। ब्यास आरती में शामिल होने आई आशीमा ठाकुर ने बताया कि उन्होंने पहले टीवी पर ही गंगा आरती को देखा था इसे साक्षात देखने की प्रबल इच्छा थी, लेकिन आज ब्यास आरती को उसी तर्ज पर देखकर यह इच्छा पूरी हो गई है। उन्होंने बताया कि यह उनके लिए कभी न भूलने वाला यादगार लम्हा है।
ब्यास आरती के बाद दीप दान भी किए गए। लोग अपने घरों से दीए लेकर आए थे, जिन्हें ब्यास नदी में प्रवाहित किया गया। इसके अलावा प्रशासन द्वारा जनसहयोग से प्रसाद वितरण का कार्यक्रम भी रखा गया था, जिसके तहत आए हुए सभी लोगों को ब्यास आरती के बाद प्रसाद बांटा गया।
