सुंदरनगर, 3 जुलाई 2024।
कृषि विभाग हिमाचल प्रदेश जिला मंडी कृषि प्रद्यौगिकी प्रबंधन अभिकरण “आत्मा” जिला मंडी विकास खंड सुंदरनगर द्वारा प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना के अंतर्गत ग्रामपंचायत बरोटी के गांव लेहड़ में दो दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया जिसमें किसानों को प्राकृतिक खेती की विस्तारपूर्वक जानकारी दी गई तथा प्राकृतिक खेती में प्रयोग होने वाले घटकों को प्रयोगात्मक रूप से बताया गया जिसमें बीजामृत, घनजीवामृत, जीवामृत,द्रेकास्त्र, ब्रह्मास्त्र, दशपर्णी अर्क, अग्निअस्त्र तथा सप्तधान्य अंकुर अर्क आदि शामिल थे।
सुंदरनगर कृषि विकासखंड के खंड तकनीकी प्रबंधक लेखराज ने बताया कि शिविर में लगभग 30 किसानों ने भाग लिया। उन्होंने कहा कि देश में प्राकृतिक खेती का प्रचलन लगातार बढ़ता जा रहा है। इस खेती में किसान किसी रसायन का इस्तेमाल नहीं करते हैं। यह खेती बड़े पैमाने पर ऑन-फार्म बायोमास रीसाइक्लिंग पर आधारित है, जिसमें बायोमास मल्चिंग, गाय के गोबर, मूत्र के इस्तेमाल पर प्रमुख जोर दिया जाता है। मिट्टी की उर्वरता बनाए रखने के लिए नीम से बने जैविक उर्वरकों का छिड़काव किया जाता है।
किसानों को बताए प्राकृतिक खेती के फायदे शिविर के दौरान किसानों को बताया गया कि प्राकृतिक खेती का उद्देश्य मिट्टी की गुणवत्ता को खराब किए बिना फसल की पैदावार को बेहतर करना है।
यह फसलों में विविधता को बनाए रखना, प्राकृतिक संसाधनों का सही इस्तेमाल करना, जैविक खाद और एक बेहतर खेती के वातावरण को बढ़ावा देती है। प्राकृतिक खेती एक जैव विविधता के साथ काम करती है। यह मिट्टी की जैविक गतिविधि को बढ़ाने के साथ-साथ खाद्य उत्पादन को भी बढ़ावा देती है।