ऊना
“मंज़िल उन्हीं को मिलती है, जिनके सपनों में जान होती है। पंख से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है।” इन प्रेरक शब्दों के साथ उपायुक्त ऊना जतिन लाल ने शुक्रवार को हरोली उपमंडल के पालकवाह सभागार में आयोजित विशेष प्रेरक एवं परामर्श सत्र में विद्यार्थियों को बड़ा सोचने, बड़े लक्ष्य तय करने और उन्हें पाने के लिए धैर्य व निरंतरता से जुटने का संदेश दिया।
इस विशेष सत्र में डॉ. सिम्मी अग्निहोत्री राजकीय डिग्री कॉलेज हरोली, मोहन लाल दत्त राजकीय डिग्री कॉलेज खड्ड और संत बाबा ढांगू वाले गुर्जर राजकीय महाविद्यालय बीटन के छात्र-छात्राएं बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।एक औसत विद्यार्थी से आईएएस तक का सफ़रउपायुक्त ने विद्यार्थियों से अपने जीवन का अनुभव साझा किया।

उन्होंने बताया कि वे स्कूल और कॉलेज में एक औसत विद्यार्थी रहे, लेकिन मन में हमेशा यह भाव था कि कुछ ऐसा करना है जिससे माता-पिता का नाम रोशन हो।उन्होंने कॉल सेंटर से करियर की शुरुआत की, फिर एक सरकारी उपक्रम में नौकरी की। एक दिन कार्यालय में एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी का दौरा हुआ। उस स्वागत को देखकर उनके मन में सिविल सेवा के प्रति गहरी रुचि जगी और तभी उन्होंने निश्चय कर लिया कि यही मंज़िल होगी।
जतिन लाल ने बताया कि कैसे उन्होंने लंच ब्रेक, मेट्रो यात्रा और हर खाली पल को पढ़ाई में लगाया। सोशल मीडिया और अनावश्यक गतिविधियों से दूरी बनाई। माता-पिता और पत्नी का भरपूर सहयोग मिला। नौकरी से अवकाश लिया और अंततः त्यागपत्र देकर तैयारी को ही प्राथमिकता बना लिया।
उन्होंने बताया कि तैयारी के दौरान परिवार को पर्याप्त समय नहीं दे पाना उनके लिए सबसे बड़ी कसौटी थी। उस समय उन्होंने मन में ठाना था कि जिस दिन आईएएस बनेंगे, समाज निर्माण में योगदान के साथ-साथ अपने माता-पिता और पत्नी को हर वह खुशी देंगे, जिसकी वे हकदार हैं। कड़ी मेहनत और अनुशासन का फल उन्हें 2016 बैच की भारतीय प्रशासनिक सेवा में चयन के रूप में मिला।
कड़ी मेहनत के साथ धैर्य, दृढ़ता और निरंतरता ही सफलता की असली चाबीउपायुक्त ने विद्यार्थियों को समझाया कि सफलता थाली में परोसी हुई नहीं मिलती। धैर्य, दृढ़ता और निरंतरता ही असली चाबी है। इंसान या तो जीतता है या सीखता है। हारता वही है जो प्रयास करना छोड़ देता है।

उन्होंने कहा कि मोटिवेशन उतार-चढ़ाव वाला होता है, पर अनुशासन स्थायी है। लक्ष्य चाहे कोई भी हो, उसके लिए रोज़ाना समय निकालना ही पड़ेगा। उन्होंने विद्यार्थियों को “यतो भावे, ततो भवति, यानी जैसा सोचोगे, वैसा ही बन जाओगे का सार समझाया। कहा कि वे तय करें कि उन्हें सामान्य जीवन जीना है या उत्कृष्टता की ओर बढ़ना है।
विद्यार्थियों की जिज्ञासाओं के उत्तर
सत्र में विद्यार्थियों ने पढ़ाई, तनाव, हिंदी माध्यम, नोट्स और परीक्षा से जुड़े प्रश्न और तैयारी को लेकर जिज्ञासाएं पूछीं।एक विद्यार्थी ने कहा कि परीक्षा के दिनों में नींद नहीं आती, दिमाग़ में प्रश्न घूमते रहते हैं। इस पर उपायुक्त ने हल्के-फुल्के अंदाज़ में कहा कि यह अच्छी बात है। जब तक नींद नहीं आती, पढ़ते रहो। दिमाग़ सक्रिय है और प्रश्नों का हल खोज रहा है।
हिंदी माध्यम से तैयारी पर पूछे गए सवाल पर बोले कि अब हिंदी में भी उच्च गुणवत्ता की किताबें और सामग्री उपलब्ध है। मेहनत और धैर्य से इस माध्यम में भी सफलता संभव है।उन्होंने यह भी कहा कि बुद्धिलब्धि (आई-क्यू) से अधिक भावनात्मक बुद्धिमत्ता (ई-क्यू) महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि यह बताती है कि आप परिस्थितियों का सामना कैसे करते हैं।

लड़कियों के लिए विशेष संदेश
जतिन लाल ने छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा कि वे जीवन में पहले आत्मनिर्भर बनें। विवाह अपनी जगह है, लेकिन स्वतंत्र और सक्षम बनना सबसे बड़ी उपलब्धि है।सफलता का असली मंत्र
यह सत्र केवल यूपीएससी परीक्षा की तैयारी तक सीमित नहीं था, बल्कि जीवन में सफलता की तैयारी को समर्पित रहा।
उपायुक्त ने विद्यार्थियों को जीवन का सार देते हुए कहा
कि शांत रह कर मेहनत करो, तुम्हारी सफलता स्वयं शोर मचाएगी। परफेक्शनिस्ट बनने के पीछे मत भागो, बस निरंतर प्रयास करो। कमज़ोर व्यक्ति परिस्थितियों से हारता है, मज़बूत व्यक्ति उनसे सीखकर आगे बढ़ता है।
कार्यक्रम में एसडीएम हरोली विशाल शर्मा, विभिन्न विभागों के अधिकारी और महाविद्यालयों के प्राध्यापक भी उपस्थित रहे। विद्यार्थियों ने इस अद्भुत सत्र के लिए उपायुक्त जतिन लाल का आभार व्यक्त किया।
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