हिमाचली उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहुंचाएगी सरकार: उद्योग मंत्री


हिमाचल प्रदेश सरकार के उद्योग, संसदीय कार्य, श्रम एवं रोजगार मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने कहा कि राज्य सरकार का लक्ष्य है कि गांवों में पारंपरिक रूप से कार्य कर रहे कारीगरों, हथकरघा एवं हस्तशिल्प से जुड़े शिल्पियों को ऐसा मंच दिया जाए, जिससे उनके उत्पादों को देश ही नहीं, अंतरराष्ट्रीय बाजार तक पहुंचाया जा सके।

वे आज मंडी के पड्डल मैदान में आयोजित हिमाचल प्रदेश औद्योगिक व्यापार एक्सपो-2025 में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे। इस एक्सपो का आयोजन सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय, भारत सरकार की खरीद एवं विपणन सहायता योजना (पीएमएस स्कीम) के अंतर्गत मंडी के पड्डल मैदान में किया गया है।


उद्योग मंत्री ने कहा कि प्रदर्शनी जैसे आयोजनों का उद्देश्य उन स्थानीय उत्पादों और कारीगरों को मंच देना है जो गांवों में रहकर पारंपरिक और अद्वितीय वस्तुएं तैयार करते हैं। इस तरह के आयोजनों में उन्हें अपने उत्पादों की बिक्री के लिए कोई शुल्क नहीं देना पड़ता, जिससे उन्हें सीधा लाभ मिलता है।

उन्होंने बताया कि राज्य सरकार का प्रयास है कि हिमाचल आने वाले पर्यटक केवल शहरी क्षेत्रों तक सीमित न रहें, बल्कि गांवों तक जाएं और स्थानीय उत्पादों को जानें और खरीदें। सरकार स्थानीय उत्पादों को आधुनिक रूप देने और उन्हें व्यावसायिक रूप से प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए कार्य कर रही है।


हिमाचल के उत्पादों को मिल रही राष्ट्रीय सराहना
चौहान ने बताया कि हिमाचल के उत्पाद अपनी विशिष्टता के कारण हैरिटेज वैल्यू रखते हैं। उन्होंने बताया कि हाल ही में दिल्ली हाट में आयोजित हिमाचली परिधानों के फैशन शो को लोगों ने काफी सराहा। साथ ही, दिल्ली में आयोजित हाट बाजार में हिमाचल के 28 स्टॉल लगाए गए, जहां 8 से 10 हजार करोड़ का व्यापार हुआ। इससे स्पष्ट है कि हिमाचली उत्पादों को राष्ट्रीय स्तर पर भरपूर सराहना मिल रही है।


हस्तशिल्प और हैंडलूम के लिए आधुनिक प्रशिक्षण
उद्योग मंत्री ने कहा कि हिमाचल की समृद्ध पारंपरिक शिल्प को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने का प्रयास किया जा रहा है। इसके लिए स्थानीय कारीगरों को आधुनिक डिजाइनों, गुणवत्ता और वैश्विक मानकों के अनुसार प्रशिक्षित किया जा रहा है, ताकि वे अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी प्रतिस्पर्धा कर सकें।

उन्होंने कहा कि देश के अधिकांश क्षेत्र गर्म जलवायु वाले हैं, जिसके चलते हिमाचल के ऊनी वस्त्रों का भारत में सीमित बाजार है। इसी को ध्यान में रखते हुए उन्हें अंतरराष्ट्रीय उपभोक्ता जरूरतों के अनुरूप ढालने की दिशा में कार्य किया जा रहा है।


हथकरघा समूहों को क्लस्टर मॉडल में लाने की योजना
चौहान ने कहा कि राज्य सरकार छोटे-छोटे समूहों में कार्य कर रहे हथकरघा और शिल्प समूहों को एक बड़े क्लस्टर मॉडल में परिवर्तित करेगी, जिससे उनका उत्पादन और विपणन बड़े स्तर पर संभव हो सके और परिवहन लागत सहित अन्य खर्चों में कमी लाई जा सके। उन्होंने कहा कि हिमाचल के खानपान और परिधान की विविधता को देशभर में फैलाना और इसे एक व्यावसायिक ब्रांड के रूप में स्थापित करना सरकार की प्राथमिकताओं में शामिल है।


इस अवसर पर विधायक चन्द्रशेखर, पूर्व मुख्य संसदीय सचिव सोहन लाल ठाकुर, एपीएमसी मंडी के अध्यक्ष संजीव गुलेरिया, प्रदेश कांग्रेस महासचिव चम्पा ठाकुर, सहायक निदेशक एमएसएमई डीएफओ सोलन अशोक कुमार गौतम, पीएचडीसीसीआई के सह-अध्यक्ष विशाल चौहान, निदेशक अनिल कुमार सांखला, एडीसी मंडी गुरसिमर सिंह, एएसपी सचिन हीरेमठ, एसडीएम मंडी रूपिंदर कौर, वाइस प्रेसिडेंट गुरुद्वारा साहिब कमेटी गुरचरण सिंह सहित अनेक अधिकारी एवं गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे।


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