राजधानी शिमला के भट्टाकुफर में सड़क किनारे गडढा पड़ने की घटना पर भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण की टीम ने आज उपायुक्त अनुपम कश्यप को रिपोर्ट सौंप दी है। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि 22 नंवबर 2025 को 2.2 मीटर लंबा 1.5 मीटर चैड़ा और 4 मीटर गहरे गडढे का सर्वेक्षण किया गया। रिपोर्ट के अनुसार दो पानी की पाईपों की लीकेज की वजह से यह घटना हुई है।

इसके साथ ही मानव जनित कारण जिसमें टनल निर्माण की वाइब्रेशन और अन्य द्धितीय कारण है। टनल निर्माण के लिए ब्लास्टिंग पूर्ण रूप से बंद करने का सुझाव रिपोर्ट में दिया गया। इसके अलावा मैनुअल तरीके से कार्य करने पर कोई रोक नहीं है।

उपायुक्त ने टनल निर्माण कर रही कंपनी के प्रतिनिधियों से इस पूरे मामले में रिपोर्ट मांगी है कि जिसमें मार्च 2024 में जब टनल का निर्माण कार्य शुरू हुआ था तो उस समय सर्वेक्षण करवाया गया था। इस बारे में सारा रिकार्ड मुहैया करवाए। इसके साथ ही निर्माण कार्य के दौरान प्रशासन के साथ क्या-क्या पत्राचार किया गया और सुझावों के क्रियान्वयन को लेकर क्या-क्या कदम कब-कब उठाए गए, इसकी जानकारी भी देने के निर्देश दिए।
उपायुक्त ने कहा कि प्रशासन की प्राथमिकता आम व्यक्ति की जान की सुरक्षा और उसकी संपत्ति को सुरक्षित रखना है। फोरलेन के निर्माण कार्य के दौरान टनल के दायरे में आने वाले क्षेत्र में बने लोगों के घरों में दरारें आ चुकी हैं। जिला प्रशासन की टीम ने इसके बारे में स्वयं निरीक्षण किया है।
हालांकि निर्माण कार्य कर रही कंपनी द्वारा ऐसे घरों के नुकसान की रिपोर्ट बनाई जाएगी। उन्हें मुआवजा दिलवाने के लिए प्रशासन हर संभव सहायता करेगा।उपायुक्त ने कहा कि भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है जिसमें घटना के लिए पाईपों की लीकेज का कारण प्रमुख तौर पर बताया गया है। जल शक्ति विभाग ने उन पाइपों की तुरंत मरम्मत कर दी है।


असल में वहां पर रिडयूसर थी, जिसकी वजह से लीकेज हो रही थी। जल शक्ति विभाग से रिपोर्ट मांगी गई है कि टनल निर्माण प्रभावित क्षेत्र में भूमि के नीचे कहां-कहां किस की पाइपें हैं, इसके बारे में रिपोर्ट मांगी गई है।इस बैठक में अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी प्रोटोकॉल ज्योति राणा, जिला राजस्व अधिकारी सुमेध शर्मा सहित अन्य अधिकारी मौजूद रहे।
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