शोले के 50 साल पूरे होने का हिमालय परिवेश में तैयार साॅंग किया लाॅंच*


धर्मशाला

महान भारतीय फिल्म शोले की 50वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में, गोल्ड सिनेमा धर्मशाला ने आज हिमालयी परिवेश में रचे गए इसके प्रतिष्ठित गीत महबूबा-महबूबा की एक विशेष स्क्रीनिंग आयोजित की। इस कार्यक्रम में न केवल धर्मशाला शहर से, बल्कि कांगड़ा जिले के सभी कला और संस्कृति प्रेमियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया, चाहे मौसम कितना भी खराब क्यों न हो।


इस अवसर पर कांगड़ा के उपायुक्त हेमराज बैरवा और केंद्रीय तिब्बती प्रशासन की उपाध्यक्ष डोल्मा त्सेरिंग उपस्थित थीं, जिन्होंने खचाखच भरे पीवीआर थिएटर में संयुक्त रूप से इस स्क्रीनिंग का उद्घाटन किया। प्रशासन के शीर्ष अधिकारियों और विभिन्न गैर-सरकारी संगठनों की उपस्थिति ने इस कार्यक्रम के महत्व को उजागर किया, जिसमें बॉलीवुड की यादों को स्थानीय सांस्कृतिक अभिव्यक्ति के साथ मिश्रित किया गया।


महबूबा-महबूबा गीत धर्मशाला स्थित फिल्म निर्माता जोड़ी रमन सिद्धार्थ और मंजू नारायण की रचनात्मक दृष्टि है। इस संगीत वीडियो में तिब्बती प्रदर्शन कला संस्थान (टीआईपीए) के कलाकार कलसांग डोलमा और तेनजिन न्यिमा शामिल हैं, और इसमें पारंपरिक तिब्बती वाद्ययंत्रों, नृत्यकला और बौद्ध दृश्य विषयों को मूल गीत की प्रतिष्ठित ऊर्जा के साथ अनोखे ढंग से समाहित किया गया है।


इस प्रदर्शन को इस क्षेत्र के लिए एक सांस्कृतिक मील का पत्थर माना गया, जिसमें भारतीय सिनेमाई विरासत और हिमाचल प्रदेश में तिब्बती प्रवासियों की समृद्ध कलात्मक परंपराओं का जश्न मनाया गया।


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