किरण राही/पधर /मण्डी।
एसडीएम पधर सुरजीत सिंह ने बताया कि उपमंडल पधर की सभी एफआरसी कमेटियों को प्रशिक्षण प्रदान किया गया। इस प्रशिक्षण का उद्देश्य वनाधिकार कानून के प्रावधानों, दायित्वों और अधिकारों की विस्तृत जानकारी देना था, ताकि कमेटियां अपने कार्य को सुचारू और प्रभावी तरीके से कर सकें।
उपमंडल अधिकारी (ना.) पधर सुरजीत ठाकुर ने कहा कि वन अधिकार अधिनियम 2006 का उद्देश्य उन वनवासी एवं ग्रामीण समुदायों को उनके परंपरागत अधिकार प्रदान करना है, जो पीढ़ियों से जंगलों पर निर्भर रहे हैं। उन्होंने विस्तार से व्यक्तिगत दावे, सामूहिक दावे और सामुदायिक वन संरक्षण दावे की परिभाषा, पात्रता तथा आवेदन करने की प्रक्रिया के बारे में जानकारी देना था।

उन्होंने बताया कि व्यक्तिगत दावा के अंतर्गत पात्र व्यक्ति अपने निवास क्षेत्र में लंबे समय से उपयोग में आ रहे वन भूमि के अधिकार हेतु आवेदन कर सकता है। सामूहिक दावा के तहत ग्रामीण समुदाय सामूहिक रूप से उपयोग में आने वाली वन भूमि के लिए दावा प्रस्तुत कर सकते हैं, जबकि सामुदायिक वन संरक्षण दावा का उद्देश्य सामुदायिक तौर पर जंगल के संरक्षण और प्रबंधन का अधिकार सुनिश्चित करना और दावों के सत्यापन की प्रक्रिया, आवश्यक दस्तावेजों की सूची, समय-सीमा और विभिन्न स्तरों पर अनुमोदन के बारे में भी जानकारी देना और समय पर आवेदन से पात्र लाभार्थी अपने कानूनी अधिकार प्राप्त कर सकते हैं।
एसडीएम ने सभी एफआरसी कमेटियों से आग्रह किया कि वे अपने-अपने क्षेत्रों में जाकर अधिनियम की जानकारी अन्य ग्रामीणों तक पहुँचाए, ताकि कोई भी पात्र व्यक्ति अधिकार से वंचित न रहे।
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