पारंपरिक कारीगरों को आर्थिक रूप से सशक्त और आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा चलाए जा रहे प्रयासों के तहत शुक्रवार को ऊना में जिला ग्रामीण विकास अभिकरण (डीआरडीए) के बैठक कक्ष में स्फूर्ति योजना पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में 60 से अधिक पारंपरिक कारीगरों सहित विभिन्न पंचायतों के प्रधान, उपप्रधान व स्थानीय प्रतिनिधि शामिल हुए।
इस कार्यशाला के सफल आयोजन में जिला ग्रामीण विकास अभिकरण ऊना के परियोजना अधिकारी के.एल. वर्मा, स्वां महिला फेडरेशन के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. आर.के. डोगरा, जाग्रति फाउंडेशन के अजय कुमार व स्नेहलता, कार्यक्रम आयोजक शौर्य, जिला उद्योग केंद्र ऊना से रिसोर्स पर्सन अक्षय सिंह और प्रबंधक अखिल का विशेष योगदान रहा।

कार्यशाला के दौरान मास्टर ट्रेनर विवेक ने स्फूर्ति योजना की विस्तृत जानकारी प्रस्तुत की। यह योजना सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय तथा नाबार्ड कंसल्टेंसी सर्विसेज (नैबकॉन्स) के सहयोग से संचालित की जा रही है। इसका उद्देश्य पारंपरिक कारीगरों व ग्रामीण उद्योगों को समूहों के रूप में संगठित कर उन्हें तकनीकी सहायता, डिज़ाइन नवाचार, विपणन, ब्रांडिंग, प्रशिक्षण, बुनियादी ढांचे और बाजार तक पहुंच प्रदान करना है, जिससे
उनकी आय बढ़ाई जा सके और वे वैश्विक प्रतिस्पर्धा में टिक सकें।
बता दें, स्फूर्ति (स्कीम ऑफ फंड फॉर रिजेनरेशन ऑफ ट्रेडिशनल इंडस्ट्रीज) योजना के अंतर्गत खादी, ग्रामोद्योग, नारियल रेशा उद्योग जैसे पारंपरिक क्षेत्रों का पुनरुद्धार और सशक्तिकरण किया जा रहा है। योजना का प्रमुख उद्देश्य ग्रामीण कारीगरों को समूहबद्ध कर उन्हें स्थायी रोजगार, आधुनिक प्रशिक्षण व आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराना है, ताकि वे अपने कौशल को आर्थिक रूप से लाभकारी दिशा में ले जा सकें।
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