रक्कड़:प्रदीप ठाकुर
रक्कड़
सुजानपुर के डोली गाँव में रहने वाला पंकज पिछले एक साल से अपनी टांग के गंभीर इंफेक्शन से परेशान था। हालत इतनी खराब थी कि वह घर से बाहर तक नहीं जा पाता था। इलाज पर काफी पैसा लग चुका था, लेकिन सुधार बिल्कुल नहीं हो रहा था।
कई लोग उसकी हालत देखने आए—
कुछ ने वीडियो बनाया, कुछ ने फोटो ली…
और फिर बिना कोई मदद किए वापस चले गए।
लेकिन इसी बीच, कुसुम फाउंडेशन के अध्यक्ष डॉ. विशाल राणा पंकज के घर पहुँचे।
न कोई कैमरा…
न कोई दिखावा…
सिर्फ इंसानियत की भावना।
उन्होंने डॉक्टर से सलाह की, और पंकज को जांच जल्द करवाने का भरोसा दिया।
साथ ही मौके पर ही आर्थिक सहायता भी प्रदान की, जिससे पंकज का इलाज तुरंत शुरू हो सके।
पंकज भावुक होकर कहता है—
“अगर डॉ. विशाल राणा उस दिन न आते, तो मुझे ठीक होने की कोई उम्मीद नहीं थी। उनकी मदद ने ही मेरे अंदर जीने की वजह जगाई है। वही एक उम्मीद की किरण थे।”
डॉ. राणा ने यह भी बताया कि—
उनके ताऊ का लड़का जल्द ही पंकज को अस्पताल ले जाकर पूरा इलाज करवाएगा।
और सच तो यह है कि—
आज के दौर में भी डॉ. विशाल राणा जैसे लोग मौजूद हैं, जो बोलने पर नहीं, बल्कि काम करने में विश्वास रखते हैं।
जहाँ लोग दिखावे के लिए आते हैं, वहाँ वे चुपचाप सेवा करके चलते हैं।
डोली गाँव में कुसुम फाउंडेशन की यह पहल इंसानियत का बड़ा उदाहरण बन चुकी है।
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