बल्क ड्रग पार्क पर फैलाई जा रही भ्रांतियों को लेकर डीसी ऊना का बड़ा बयान….**विकास और पर्यावरण का संतुलन हमारी प्राथमिकता, वैज्ञानिक एवं पर्यावरणीय संतुलन के साथ किया जा रहा परियोजना का क्रियान्वयन**लोगों से अपील….सोशल मीडिया की अफवाहों पर न दें ध्यान**परियोजना स्थल पर मीडिया वॉकथ्रू, अधिकारियों ने दी ऑन-स्पॉट ब्रीफिंग*

ऊना जिले के हरोली विकास खंड में निर्माणाधीन बल्क ड्रग पार्क परियोजना को लेकर सोशल मीडिया पर फैलाई जा रही अफवाहों और भ्रांतियों के निराकरण के लिए जिला प्रशासन ने मंगलवार को एक महत्त्वपूर्ण पहल करते हुए परियोजना स्थल पोलियां में ‘मीडिया वॉकथ्रू’ आयोजित किया।

उपायुक्त जतिन लाल की अगुवाई में आयोजित इस मीडिया वॉकथ्रू में पत्रकारों को साइट पर ले जाकर परियोजना के विभिन्न पहलुओं की ब्रीफिंग दी गई और पर्यावरणीय, तकनीकी व सामाजिक तथ्यों से अवगत कराया गया। इस अवसर पर उद्योग विभाग के संयुक्त निदेशक अंशुल धीमान, डीएफओ सुनील राणा सहित अन्य अधिकारी भी उपायुक्त के साथ रहे और उन्होंने अपने विभागों से जुड़ी जानकारियां साझा की।


उपायुक्त ने कहा कि विकास और पर्यावरण के बीच संतुलन बनाए रखना प्रशासन की सर्वाेच्च प्राथमिकता है। कुछ लोग सोशल मीडिया पर परियोजना को लेकर भ्रांतियां फैला रहे हैं, जबकि वास्तविकता यह है कि यह परियोजना राज्य के औद्योगिक भविष्य के लिए निर्णायक है और इसे वैज्ञानिक एवं पर्यावरणीय संतुलन के साथ क्रियान्वित किया जा रहा है।


उन्होंने कहा कि परियोजना निर्माण में राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी), प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और केंद्र व राज्य सरकार की पर्यावरणीय गाइडलाइनों का कठोर अनुपालन सुनिश्चित किया जा रहा है। प्रशासन प्रत्येक आयाम की सूक्ष्मता से समीक्षा कर रहा है ताकि पारदर्शिता बनी रहे और जनविश्वास मजबूत हो। उपायुक्त ने कहा कि वे स्वयं इसकी निगरानी कर रहे हैं।

भू-जल पुनर्भरण, प्रदूषण नियंत्रण, वनीकरण और वन्य जीव संरक्षण के लिए समुचित योजनाएं तैयार की गई हैं और एक प्रोएक्टिव दृष्टिकोण के साथ इस दिशा में कार्य किया जा रहा है।


*राष्ट्रीय महत्व की परियोजना, निवेश और रोजगार के नए क्षितिज खोलेगा बल्क ड्रग पार्क*
उपायुक्त ने कहा कि बल्क ड्रग पार्क परियोजना मुख्यमंत्री श्री सुखविंदर सिंह सुक्खू और उपमुख्यमंत्री श्री मुकेश अग्निहोत्री की दूरदर्शी सोच और औद्योगिक विकासोन्मुख दृष्टिकोण के अनुरूप आकार ले रही है।

1405 एकड़ क्षेत्र में 2000 करोड़ रुपये की लागत से विकसित की जा रही यह परियोजना देश में स्थापित हो रही तीन राष्ट्रीय बल्क ड्रग पार्क परियोजनाओं में से एक है, और इसका ऊना में स्थापित होना प्रदेश के लिए गर्व का विषय है।उपायुक्त ने बताया कि इस परियोजना में भविष्य में लगभग 10 हजार करोड़ रुपये के निवेश की संभावना है और 10 हजार से अधिक युवाओं को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर मिलेंगे।

यह न केवल ऊना जिले के औद्योगिक परिदृश्य को नया आयाम देगा, बल्कि हिमाचल को फार्मा क्षेत्र में वैश्विक मानचित्र पर स्थापित करने में सहायक होगा।उन्होंने यह भी कहा कि इस परियोजना के माध्यम से भारत की एक्टिव फार्मास्यूटिकल इंग्रेडिएंट्स आपूर्ति में चीन पर निर्भरता समाप्त होगी और देश की औषधीय आत्मनिर्भरता को बल मिलेगा।


*भूजल संरक्षण को लेकर प्रशासन प्रतिबद्ध, 15 एमएलडी क्षमता का टैंक तैयार*
जतिन लाल ने कहा कि भविष्य की जरूरतों को देखते हुए भूजल संरक्षण के लिए प्रशासन ने प्रोएक्टिव रणनीति अपनाई है। उन्होंने कहा कि परियोजना क्षेत्र केंद्रीय जल बोर्ड द्वारा सेफ श्रेणी में वर्गीकृत है और वर्तमान भूजल दोहन स्तर 56 प्रतिशत है, जो संतोषजनक माना जाता है।

इसके बावजूद प्रशासन ने जल संरक्षण को प्राथमिकता देते हुए तालाबों की रिचार्जिंग, जल संचयन संरचनाओं और दीर्घकालिक जलापूर्ति योजनाओं पर काम शुरू कर दिया है। उपायुक्त ने बताया कि पोलियां में 15 मिलियन लीटर प्रतिदिन (एमएलडी) क्षमता वाला जल भंडारण टैंक तैयार किया जा चुका है, जो प्रारंभिक आवश्यकताओं को पूरा करने में सक्षम है।


उन्होंने कहा कि विशेषज्ञों की मदद से यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि परियोजना का कोई दुष्प्रभाव न भूजल पर पड़े, न कृषि पर और न ही स्थानीय पारिस्थितिकी पर।
उन्होंने बताया कि भविष्य के लिए 170 करोड़ रुपये की जलापूर्ति योजना की डीपीआर तैयार की गई है, जिसके तहत भाखड़ा डैम से पानी लाया जाएगा। परियोजना के लिए प्रारंभ में 15 एमएलडी पानी की आवश्यकता रहेगी और भविष्य में यह 50 एमएलडी तक बढ़ सकती है, जिसकी व्यवस्था इस योजना में की गई है।


*एपीआई उत्पादन में आत्मनिर्भरता की दिशा में बड़ा कदम*
उद्योग विभाग के संयुक्त निदेशक अंशुल धीमान ने बताया कि बल्क ड्रग पार्क परियोजना का मुख्य उद्देश्य दवाओं के निर्माण में प्रयुक्त एक्टिव फार्मास्यूटिकल इंग्रेडिएंट (एपीआई) की घरेलू आपूर्ति सुनिश्चित करना है, ताकि भारत फार्मा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बन सके। उन्होंने कहा कि यह परियोजना हिमाचल प्रदेश को फार्मास्यूटिकल हब के रूप में स्थापित करने की दिशा में एक निर्णायक पहल है। परियोजना में सभी पर्यावरणीय और औद्योगिक मानकों का पूर्ण पालन सुनिश्चित किया जा रहा है।


संयुक्त निदेशक ने बताया कि सड़क, बिजली और जलापूर्ति से जुड़ी अधोसंरचनाएं तीव्र गति से तैयार की जा रही हैं, जिनमें 85 प्रतिशत से अधिक जलापूर्ति कार्य पूर्ण हो चुका है। आगे परियोजना स्थल पर तरल, ठोस, बायोमेडिकल और ई-वेस्ट प्रबंधन के लिए आधुनिक ट्रीटमेंट प्लांट की समुचित व्यवस्था की जाएगी।


*ग्रीन बेल्ट को प्राथमिकता, हर कटे पेड़ के बदले लगेंगे 10 नए पौधे*
डीएफओ सुशील राणा ने बताया कि पोलियां में बल्क ड्रग पार्क परियोजना के 568 हेक्टेयर क्षेत्र में वर्तमान में लगभग 45 हजार 822 पेड़ मौजूद हैं। इनमें से लगभग 42 हजार पेड़ छोटे पेड़ों की चतुर्थ एवं पंचम कैटेगेरी की निम्न श्रेणी में आते हैं। केवल 3 हजार पेड़ अपेक्षाकृत विकसित श्रेणी के हैं। उन्होंने बताया कि यह क्षेत्र वन भूमि नहीं, बल्कि राजस्व श्रेणी की ओपन वेजिटेशन ज़ोन है, जहां औसतन 93 पेड़ प्रति हेक्टेयर हैं।


उन्होंने स्पष्ट किया कि हर कटे पेड़ के बदले समान प्रजाति के 10 नए पौधे लगाने का प्रावधान किया गया है। साथ ही परियोजना क्षेत्र का 33 प्रतिशत भाग ग्रीन बेल्ट के रूप में संरक्षित रहेगा और पूरे औद्योगिक परिसर की 15 मीटर चौड़ी ग्रीन जोन विकसित किया जाएगा।
*


Discover more from Newshimachal24

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

Leave a Reply

Discover more from Newshimachal24

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading