इस अवसर पर मुख्य अतिथि ने ने बुनकर केंद्र कुल्लू द्वारा हथकरघा क्षेत्र में लोगों को दी जा रही सहायता व तकनीकी ज्ञान की सराहना करते हुए कहा कि जिला कुल्लू में बहुत से लोग इस व्यवसाय से जुड़े हैं और यहां की बुनाई की पारंपरिक शैली को पूरे देश ही नहीं बल्कि विदेशों तक मशहूर किया है। अब कुल्लू की वुलन साड़ी भी विदेशों तक पहचान बना चुकी है। उन्होंने कहा कि हथकरघा गावों के लोगों की आजीविका का भी साधन है और बहुत से लोगों ने हथकरघा के क्षेत्र में राष्ट्रीय पुरस्कार तक प्राप्त किये हैं। उन्होंने राष्ट्रीय हथकरघा दिवस की सभी को शुभकामनाएं दी।

उन्होंने कहा कि यहाँ के बुनकर बड़े पत्रिश्रम के साथ बेहतरीन उत्पाद निर्मित कर रहे है परन्तु उस श्रम के मुताबिक़ उन्हें बढ़िया दाम नहीं मिल पाते।उन्होंने बुनकर सेवा केंद्र के अधिकारिओं से उनके उत्पाद कि बिक्री के लिए कुछ बड़े ऑनलाइन विक्रेता प्लेटफार्म के साथ कार्य करने कि संभावनाओं को तलाशने के लिए भी कहा ताकि उनके उत्पाद कि विक्री का दायरा बढाकर उचित मूल्य हासिल किया जा सके।

बुनकर सेवा केन्द्र कुल्लू के उपनिदेशक विनय कुमार ने मुख्यातिथी का शाल व टोपी पहनाकर स्वागत किया तथा भारत सरकार वस्त्र मंत्रालय द्वारा बुनकरों के लिये चलाई जा रही योजनाओं के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी दी। उन्होंने बताया कि बुनकर सेवा केन्द्र कुल्लू भारत सरकार, वस्त्र मंत्रालय, विकास आयुक्त (हथकरघा) कार्यालय, नई दिल्ली के अधीनस्थ है। पूरे भारत वर्ष में ऐसे केन्द्र है। जिला कुल्लू में लगभग 10 हजार बुनकर हैं।

यह केन्द्र पूरे प्रदेश के बुनकरों को समय-समय पर विभिन्न योजनाओं के अन्तर्गत नई-नई तकनीकों की जानकारी एवं सहायता उपलब्ध कराकर उनकी आर्थिकी को सुदृढ़ करने के लिये प्रयासरत है। यह केन्द्र वस्त्र नमूने, पेपर डिजाईन व अन्य प्रकार की तकनीकी सहायता हथकरघा क्षेत्र के किसी भी जरूरतमंद को बहुत कम शुल्क पर उपलब्ध करवाता है तथा समय समय पर बुनाई एवं रंगाई की नई तरीके की जानकारियां भी प्रदान की जाती है।
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