किरण राही/मण्डी।
हिमाचल प्रदेश में दलितों पर बढ़ते अत्याचारों, भेदभाव, उत्पीड़न, हिंसा, छुआछूत व अन्य सामाजिक भेदभाव के खीलाफ़ एकजुट आवाज़ उठाने और दलितों के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा के लिए आज मंडी में शोषण मुक्ति मंच गठित करने के लिए अधिवेधन आयोजित किया गया जिसकी अध्यक्षता रविकांत, तेजलाल चौहान, केएस चौहान, नानक चन्द, जयकुमार वर्धन, रीता देवी ने की और मंच के राज्य सयोंजक आशीष कुमार ने इसका उदघाट्न किया।उन्होंने कहा कि गत माह 16 अक्टूबर को शिमला के कालीवाड़ी हाल में राज्य स्तर का अधिवेशन आयोजित किया गया था जिसमें तीन दर्ज़नो दलित संगठनों ने भाग लिया था और उसी सम्मेलन में दलितों के अधिकारोँ की रक्षा के लिए शोषण मुक्ति मंच गठित किया था
जिसके आह्वान पर आगामी 17 नवंबर को दलितों की मांगो को लेकर ज़िला स्तर व उपमण्डल स्तर पर प्रदर्शन करने का निर्णय लिया गया है। उससे पहले सभी जिलों में शोषण मुक्ति मंच की कमेटियां गठित की जा रही है और उसी कड़ी में आज मंडी ज़िला की कमेटी गठित करने के लिए बैठक आयोजित की गई जिसमें एक दर्ज़न दलित व अन्य जनवादी संगठनों के पचास सदस्यों ने भाग लिया।
इस अवसर पर 25 सदस्यीय कमेटी चुनी गई जिसका सयोंजक ज़िला पार्षद रविकांत को तथा मॉन सिंह और जयकुमार वर्धन को सह सयोंजक और तेजलाल चौहान को सलाहकार चुना गया।राज्य सयोंजक आशीष कुमार ने बताया कि इस मंच का मुख्य उद्देश्य दलितों के साथ होने वाले भेदभाव,अमानवीय व्यवहार, उत्पीड़न व अत्याचारों को इकठ्ठा होकर रोकना है।

ये सब समाज के उन सभी लोगों व संस्थाओं के सहयोग से ही संभव है जो भेदभावपूर्ण व जातीय सोच से ऊपर उठकर मानवीय मूल्यों व सँविधान को सर्वोपरि मानते हैं और किसी इंसान से उसकी पैदाइस किस जाति में हुई है उसके आधार पर सदियों पुरानी मनुवादी सोच का विरोध करते हैं और समानता की सोच को मानते हैं।इसलिये शोषण मुक्ति मंच में केवल दलितों के सन्गठन व लोग ही नहीं बल्कि अन्य जातियों के वे सभी लोग व संग़ठन भी शामिल हैं जो जातिगत भेदभाव के ख़िलाफ़ सँघर्ष करने को तैयार हैं।
उसी के चलते आज इस सम्मेलन में मज़दूर सन्गठन सीटू के ज़िला प्रधान भूपेंद्र सिंह व राजेश शर्मा, किसान सभा के कुशाल भारद्धाज, जनवादी महिला समिति की डॉ विना वैद्य संगठनों के प्रतिनिधि भी भी बैठक में शामिल हुए हैं। उन्होंने कहा कि पिछले दिनों रोहड़ू व प्रदेश के कई अन्य जगहों पर दलितों के खीलाफ़ हुई घटनाओं पर माकपा के अलावा किसी दूसरी राजनैतिक पार्टी ने प्रतिक्रिया नहीं दी है लेकिन मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के नेता एवं पूर्व विधायक राकेश सिंघा और राज्य सचिव एवं पूर्व शिमला के महापौर संजय चौहान ने मुखर रूप से रोहड़ू में एक दलित बच्चे के साथ हुए जातीय भेदभाव और उसके चलते हुई उसकी मौत पर मुखर रूप से आवाज़ उठाई थी।

इसलिए दलित संगठनों को ये समझ लेना चाहिए कि ये राजनैतिक दल दलितों को केवल वोट बैंक के रूप में ही इस्तेमाल करती है।यही नहीं बाबा साहेब अंबेडकर द्धारा निर्मित सँविधान के तहत मिले आरक्षण के आधार पर विधानसभा के लिए चुने गए 17 विधायकों ने भी अपनी जुवान नहीं खोली और सब तमाशबीन बने हुए हैं।इसलिए दलितों को अपनी एकता बनाते हुए एकजुट संघर्ष करने होंगे अन्यथा जो भेदभाव व अत्याचार हो रहे हैं वे कम होने के बजाए बढ़ते जा रहे हैं।
इसलिए आज जो एकजुट होने की शुरुआत हुई है उसे आने वाले समय में और व्यापक और तेज़ करना होगा औरइस प्रकार की कमेटियां निचले स्तर तक बनानी होंगी।सम्मेलन में प्रस्ताव पारित किया गया जिसमें सरकारी विभागों, बोर्डों, निगमों, आउटसोर्स,पीटीए, एसएमसी,कंट्रेक्ट, मल्टिटास्क वरकरों, सेवा मित्रों की नियुक्ति में आरक्षण रोस्टर लागू किया जाए।बजट में अनुसूचित जाति जनजातियों कम्पोनेंट का पैसा दूसरे सामान्य विकास कार्यों पर खर्च न किया जाये।
स्कूलों में मिड डे मील व आंगनवाड़ी में बनने वाले भोजन में जातिगत भेदभाव रोका जाए तथा इस समुदाय के बच्चों को छात्रवृत्ति पारदर्शी व समय पर जारी की जाए।दलितों के साथ छुआछूत, भेदभाव व अत्याचार करने वालों को अत्याचार निवारण अधिनियम को सख्ती से लागू किया जाए और दोषियों को कठोर सजाएं दी जाये।ये भी मांग की गई कि तेलंगाना राज्य की तर्ज़ पर अत्याचार निवारण क़ानून बनाया जाए।
शोषण मुक्ति मंच मंडी की कमेटी
रविकांत-सयोंजक, मॉन सिंह और जयकुमार वर्धन-सह सयोंजक और तेज़ लाल चौहान-सलाहकार तथा
इंद्र सिंह, चेत राम, नानक चन्द, हेमराज, सोहन सिंह, दीपक प्रेमी,संजय कुमार, रोशन लाल, बिहारी लाल, बीआरकौंडल, चमनलाल, शिवराम भारद्धाज, राकेश कौंडल, देवीन्द्र कुमार, प्रवीण कुमार, रीता देवी, मेहर सिंह, मनी राम,लाल मन,कश्मीर सिंह, रामजी दास, कुशाल भारद्धाज और भूपेंद्र सिंह को कमेटी सदस्य चुना गया।
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