राजस्व मंत्री ने ग्रीष्मोकालीन महोत्सव टापरी के समापन समारोह में बतौर मुख्य शिरकत की


रिकांग पिओ
राजस्व, बागवानी, जनजातीय विकास एवं जन शिकायत निवारण मंत्री जगत सिंह नेगी ने गत सायं किन्नौर जिला की उप-तहसील टापरी में आयोजित पांच दिवसीय ग्रीष्माकालीन महोत्सव के समापन समारोह में बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की।
जनजातीय विकास मंत्री ने इस अवसर पर उपस्थित लोगों को सम्बोधित करते हुए कहा कि मेले एवं त्यौहार स्थानीय कलाकारों को मंच प्रदान करता है और वर्तमान राज्य सरकार हिमाचल की संस्कृति के सरंक्षण एवं संवर्धन की दिशा में कार्य कर रही है।


राजस्व मंत्री ने कहा कि किन्नौर अपनी समृद्ध संस्कृति, वेश-भूषा, खान-पान व पहरावे के लिए विश्व भर में प्रसिद्ध है। यहां के लोगों का जीवन कठिन होने के बावजूद भी लोगों में सरलता व विनम्रता होने के साथ-साथ सभी के प्रति आदर का भाव है जो जिला किन्नौर को अन्य जिलों से अलग बनाता है। उन्होंने कहा कि आज के इस बदलते परिवेश के उपरान्त भी जिला किन्नौर के लोग अपनी मूल संस्कृति से जुड़े है तथा अपनी सांस्कृतिक धरोहरों, रीति-रिवाजों को कायम रखे हुए हैं।


राजस्व मंत्री ने कहा कि मेले व त्यौहार आपसी भाईचारे का प्रतीक है तथा जनजातीय जिलों में कठिन भोगौलिक परिस्थितियों के कारण यह आवश्यक हो जाता है कि इस प्रकार के मेले व त्यौहार समय-समय पर आयोजित होते रहें ताकि आपसी भाईचारे के साथ-साथ आम लोग मनोरंजन के माध्यम से अपने तनाव व थकान को दूर कर सकें। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार पूरे प्रदेश में मेले व त्यौहारों को बढ़ावा देने की दिशा में कार्य कर रही है।


राजस्व मंत्री ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में मेलों का सांस्कृतिक महत्व है और विविधता में एकता की भावना को बढ़ावा देने में पारम्परिक मेले अत्यंत महत्व रखते हैं। मेले एवं त्यौहार हमारी समृद्ध संस्कृति के परिचायक होने के साथ-साथ आपसी मेल-जोल बनाए रखने में अहम भूमिका निभाते हैं। उन्होंने कहा कि मेले किसी भी प्रदेश या क्षेत्र में बसने वाले लोगों की धर्म, आस्था, रीति रिवाज़ और ऐतिहासिक दृष्टि से बहुत महत्व रखते हैं। इसी के मद्देनजर किन्नौर जिला की समृद्ध संस्कृति व रीती रिवाज के संरक्षण के लिए इस प्रकार के मेले व त्यौहार का महत्व तो कई अधिक गुना बढ़ जाता है।


बागवानी मंत्री ने कहा कि प्रदेश सहित किन्नौर जिला को बागवानी व कृषि की आधुनिक तकनीकों से लैस किया जा रहा है और बागवानी व कृषि विभाग की प्रयोगशालाओं से लघु एवं सीमांत किसानों को लाभान्वित किया जाएगा। उन्होंने बताया कि जिला के पूह उपमंडल में शीघ्र ही सब्जी मंडी का निर्माण किया जाएगा।
राजस्व मंत्री ने इस अवसर पर मेला कमेटी को 03 लाख रुपए प्रदान करने की घोषणा की और शीघ्र ही स्थाई स्टेज के निर्माण का आश्वासन प्रदान किया।
इस अवसर पर उपमंडलाधिकारी निचार नारायण सिंह चौहान, किनफेड के अध्यक्ष चंद्र गोपाल, जनजातीय सलाहकार परिषद के सदस्य डॉ, सूर्या बोरस, जिला परिषद सदस्य हितेष नेगी, निचार ब्लॉक कांग्रेस के अध्यक्ष बीर सिंह नेगी, ग्राम पंचायत यूला, चगांव, मीरू व उरनी के प्रधान सहित कांग्रेस पार्टी के पदाधिकारीगण व अन्य उपस्थित थे।

ंच दिवसीय ग्रीष्माकालीन महोत्सव के समापन समारोह में बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की।
जनजातीय विकास मंत्री ने इस अवसर पर उपस्थित लोगों को सम्बोधित करते हुए कहा कि मेले एवं त्यौहार स्थानीय कलाकारों को मंच प्रदान करता है और वर्तमान राज्य सरकार हिमाचल की संस्कृति के सरंक्षण एवं संवर्धन की दिशा में कार्य कर रही है।


राजस्व मंत्री ने कहा कि किन्नौर अपनी समृद्ध संस्कृति, वेश-भूषा, खान-पान व पहरावे के लिए विश्व भर में प्रसिद्ध है। यहां के लोगों का जीवन कठिन होने के बावजूद भी लोगों में सरलता व विनम्रता होने के साथ-साथ सभी के प्रति आदर का भाव है जो जिला किन्नौर को अन्य जिलों से अलग बनाता है।

उन्होंने कहा कि आज के इस बदलते परिवेश के उपरान्त भी जिला किन्नौर के लोग अपनी मूल संस्कृति से जुड़े है तथा अपनी सांस्कृतिक धरोहरों, रीति-रिवाजों को कायम रखे हुए हैं।
राजस्व मंत्री ने कहा कि मेले व त्यौहार आपसी भाईचारे का प्रतीक है तथा जनजातीय जिलों में कठिन भोगौलिक परिस्थितियों के कारण यह आवश्यक हो जाता है कि इस प्रकार के मेले व त्यौहार समय-समय पर आयोजित होते रहें ताकि आपसी भाईचारे के साथ-साथ आम लोग मनोरंजन के माध्यम से अपने तनाव व थकान को दूर कर सकें।

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार पूरे प्रदेश में मेले व त्यौहारों को बढ़ावा देने की दिशा में कार्य कर रही है।
राजस्व मंत्री ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में मेलों का सांस्कृतिक महत्व है और विविधता में एकता की भावना को बढ़ावा देने में पारम्परिक मेले अत्यंत महत्व रखते हैं। मेले एवं त्यौहार हमारी समृद्ध संस्कृति के परिचायक होने के साथ-साथ आपसी मेल-जोल बनाए रखने में अहम भूमिका निभाते हैं।

उन्होंने कहा कि मेले किसी भी प्रदेश या क्षेत्र में बसने वाले लोगों की धर्म, आस्था, रीति रिवाज़ और ऐतिहासिक दृष्टि से बहुत महत्व रखते हैं। इसी के मद्देनजर किन्नौर जिला की समृद्ध संस्कृति व रीती रिवाज के संरक्षण के लिए इस प्रकार के मेले व त्यौहार का महत्व तो कई अधिक गुना बढ़ जाता है।


बागवानी मंत्री ने कहा कि प्रदेश सहित किन्नौर जिला को बागवानी व कृषि की आधुनिक तकनीकों से लैस किया जा रहा है और बागवानी व कृषि विभाग की प्रयोगशालाओं से लघु एवं सीमांत किसानों को लाभान्वित किया जाएगा। उन्होंने बताया कि जिला के पूह उपमंडल में शीघ्र ही सब्जी मंडी का निर्माण किया जाएगा।
राजस्व मंत्री ने इस अवसर पर मेला कमेटी को 03 लाख रुपए प्रदान करने की घोषणा की और शीघ्र ही स्थाई स्टेज के निर्माण का आश्वासन प्रदान किया।


इस अवसर पर उपमंडलाधिकारी निचार नारायण सिंह चौहान, किनफेड के अध्यक्ष चंद्र गोपाल, जनजातीय सलाहकार परिषद के सदस्य डॉ, सूर्या बोरस, जिला परिषद सदस्य हितेष नेगी, निचार ब्लॉक कांग्रेस के अध्यक्ष बीर सिंह नेगी, ग्राम पंचायत यूला, चगांव, मीरू व उरनी के प्रधान सहित कांग्रेस पार्टी के पदाधिकारीगण व अन्य उपस्थित थे।


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