राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने वीरवार सायं लाल चंद प्रार्थी कला केंद्र, कुल्लू में सप्ताह भर चलने वाले अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा उत्सव की पहली सांस्कृतिक संध्या का शुभारम्भ किया। इस अवसर पर राज्यपाल की धर्मपत्नी जानकी शुक्ला भी उपस्थित थीं।
राज्यपाल ने कहा कि जिला प्रशासन को ऐसे उत्सवों के दौरान स्थानीय कलाकारों को प्राथमिकता देनी चाहिए, क्योंकि मंच मिलने से न केवल उनकी प्रतिभा को प्रोत्साहन मिलेगा, बल्कि प्रदेश की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का संरक्षण भी सुनिश्चित होगा।

इस उत्सव से अपने जुड़ाव को याद करते हुए, श्री शुक्ल ने कहा कि पिछले तीन वर्षों से उन्हें भगवान रघुनाथ जी के दर्शन करने का सौभाग्य प्राप्त हो रहा है। उन्होंने कहा कि कुल्लू दशहरा उत्सव एकता और आस्था का एक अद्भुत उदाहरण है। हुए हजारों युवा जब भगवान रघुनाथ जी के रथ को खींचते हैं, वह दृश्य अत्यंत दिव्य और आलौकिक लगता है। ये हमारी संस्कृति के सच्चे संरक्षक हैं, और ऐसी परंपराओं को केवल उत्सवों तक ही सीमित नहीं रखना चाहिए, बल्कि आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश को देवभूमि के रूप में जाना जाता है, जहां पूरे वर्ष देश भर से श्रद्धालु आते हैं। कुल्लू घाटी के विभिन्न हिस्सों से 300 से अधिक देवी-देवता इस दशहरा उत्सव के भव्य आयोजन में भाग लेने के लिए एकत्रित होते हैं, जो इसे विश्व में अद्वितीय उत्सव बनाता है।

हाल की प्राकृतिक आपदाओं का उल्लेख करते हुए, राज्यपाल ने कहा कि इस वर्ष राज्य को भारी नुकसान हुआ है, जिसमें कई परिवारों ने अपने घर और जमीन खो दी है। उन्होंने कहा कि प्रभावित परिवारों के पुनर्वास के लिए भूमि उपलब्ध करवाने को केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री के साथ चर्चा की गई है और हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी उनके धर्मशाला दौरे के दौरान स्थिति से अवगत करवाया गया है।
उन्होंने इन चुनौतियों का सामना करने में लोगों के साहस और दृढ़ता तथा रेडक्रॉस के माध्यम से किए जा रहे राहत एवं पुनर्वास कार्यों की सराहना की।
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