(परागपुर – वालिया)
भारत की प्राचीन भाषा संस्कृत और भारतीय ज्ञान परंपरा को आधुनिक संदर्भों से जोड़ने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाया गया है। केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान हैदराबाद के बीच मंगलवार को एक महत्वपूर्ण समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए।
इस साझेदारी का उद्देश्य न केवल संस्कृत भाषा का संरक्षण करना है, बल्कि उसे तकनीकी, वैज्ञानिक और शोध के आधुनिक क्षेत्रों से जोड़ना भी है।इस एमओयू के तहत दोनों संस्थान मिलकर संयुक्त अनुसंधान, शैक्षणिक सहयोग, तकनीकी प्रशिक्षण, और आधुनिक कौशल विकास पर कार्य करेंगे। यह समझौता प्राचीन ज्ञान परंपराओं और समकालीन विज्ञान एवं तकनीक के बीच सेतु का कार्य करेगा।
एमओयू पर हस्ताक्षर की प्रक्रिया एक औपचारिक बैठक में हुई, जिसमें आईआईटी हैदराबाद के निदेशक प्रो. बी. एस. मूर्ति के साथ प्रो मोहन राघवन और केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.श्रीनिवास वरखेड़ी प्रमुख रूप से उपस्थित थे। दोनों संस्थानों ने साझा रूप से भविष्य की कार्ययोजना पर भी चर्चा की, जिसमें भारतीय ज्ञान परंपरा आधारित पाठ्यक्रम, संयुक्त कार्यशालाएं और अनुसंधान परियोजनाएं शामिल हैं।

इस एम ओ यू से पूर्व 21दिवसीय समर स्कूल कार्यक्रम की भी शुरुआत की गई है, जिसमें प्रतिभागियों को विविध समकालीन विषयों पर प्रशिक्षण दिया जा रहा है।प्रशिक्षण विषयों में प्रमुख रूप से शामिल है अनुसंधानसंवर्धन,समस्या-आधारित शिक्षण,तकनीकी लेखन,परियोजना आधारित अनुसंधान ,कोडिंग और डिजिटल मीडिया प्रौद्योगिकी,वैज्ञानिक लेखन एवं प्रस्तुति कौशल,जीवन कौशल और नेतृत्व विकास पर भी ज़ोर इस कार्यक्रम का एक और प्रमुख पहलू व्यक्तित्व विकास और नेतृत्व क्षमताओं का निर्माण है।
विशेष सत्रों के माध्यम से प्रतिभागियों को टीम निर्माण, संचार कौशल,और समय प्रबंधन जैसे जीवन उपयोगी कौशलों का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इससे छात्र न केवल विद्वान बनेंगे, बल्कि भावी नेतृत्वकर्ता के रूप में भी उभर सकेंगे।
संस्कृत और तकनीक का अभिनव संगम इस बात का प्रमाण है कि भारत की प्राचीन भाषाएं और ज्ञान-परंपराएं आधुनिक युग में भी प्रासंगिक और उपयोगी हैं। आईआईटी जैसे तकनीकी संस्थान द्वारा संस्कृत को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से समझने और आगे बढ़ाने का यह प्रयास शिक्षा के क्षेत्र में एक नवाचार के रूप में देखा जा रहा है।
कुलपति प्रो. वरखेड़ी ने कहाकि यह एम ओ यू भारत के ज्ञान-संस्कार को पुनः जीवंत करने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है। हम संस्कृत को केवल एक भाषा नहीं, बल्कि एक विज्ञान, दर्शन और संस्कृति की वाहक के रूप में देख रहे हैं।
एमओयू के अंतर्गत भविष्य में दोनों संस्थान मिलकर,संस्कृत भाषा में तकनीकी शब्दावली का विकास,आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के माध्यम से संस्कृत ग्रंथों का विश्लेषण
डिजिटल पाठ्यसामग्री का निर्माण,सांस्कृतिक और वैज्ञानिक सम्मेलन आदि की योजनाएं भी बनाएंगे।
केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय और आईआईटी हैदराबाद का यह सहयोग भारत के शैक्षणिक परिदृश्य में एक नई दिशा और दृष्टि प्रस्तुत करता है। यह पहल आने वाले समय में न केवल संस्कृत को एक जीवंत भाषा बनाए रखने में सहायक होगी, बल्कि भारतीय शिक्षा प्रणाली को विश्व मंच पर और अधिक सशक्त व प्रभावशाली बनाएगी।
Discover more from Newshimachal24
Subscribe to get the latest posts sent to your email.