सोमवार मध्य रात्रि को मंडी जिला में विभिन्न स्थानों पर बादल फटने, भारी बारिश एवं भूस्खलन के कारण आई प्राकृतिक आपदा के दृष्टिगत जिला प्रशासन रात से ही राहत एवं बचाव कार्यों में जुटा रहा। उपायुक्त एवं अध्यक्ष जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण अपूर्व देवगन ने सभी संबंधित विभागों व अन्य एजेंसियों के साथ तालमेल बनाते हुए राहत कार्यों का नेतृत्व किया।

जिला में तीन उपमंडलों गोहर, करसोग व धर्मपुर में विभिन्न स्थानों पर बादल फटने, सदर मंडी में जलभराव व भारी बारिश, बालीचौकी तथा थुनाग क्षेत्र में बाढ़ की घटनाएं हुईं। सूचना मिलते ही स्थानीय प्रशासन की टीमें मौके की ओर रवाना हुई और राहत एवं बचाव कार्यों में जुट गईं। उपायुक्त ने प्रभावितों क्षेत्रों में पहुंचकर राहत एवं बचाव कार्यों का जायजा लिया। जगह-जगह फंसे 132 लोगों को सुरक्षित स्थानों एवं राहत शिविरों में पहुंचाया गया। मंडी शहर में जलभराव के कारण फंसे लोगों को विपाशा सदन व गुरूद्वारा में स्थापित राहत शिविरों में लाया गया।

राष्ट्रीय उच्च मार्ग मंडी-मनाली के बीच सुरंग संख्या 11 एवं 13 के समीप भूस्खलन के कारण फंसे लोगों को सुरक्षित निकाल लिया गया। जिला प्रशासन ने सर्व के स्वयंसेवियों की सहायता से सोमवार देर रात को ही इन लोगों को ब्रेड, बिस्किट व पानी इत्यादि उपलब्ध करवाया।

मंगलवार सायं पांच बजे तक प्राप्त सूचना के अनुसार जिला में अभी तक पांच लोगों की दुःखद मृत्यु की पुष्टि हुई है। आपदा में लापता 15 अन्य लोगों की तलाश के लिए बचाव कार्य निरंतर जारी है। बादल फटने की घटना के बाद गोहर उपमंडल के स्यांजी में राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) की मदद राहत एवं बचाव कार्यों में ली गई है।

साथ ही राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ) की अतिरिक्त टीम भी तैनात की गई। थुनाग क्षेत्र में एसडीआरएफ की टीम भेजी गई है जबकि करसोग क्षेत्र में एनडीआरएफ की टीम ने राहत एवं बचाव कार्यों में सहयोग किया। धर्मपुर क्षेत्र में प्रभावित परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर लाया गया है। इसके अतिरिक्त अन्य उपमंडलों में भी स्थानीय प्रशासन ने भारी बारिश एवं भूस्खलन इत्यादि से प्रभावित क्षेत्रों में राहत कार्य चलाए। जिला में अभी तक 24 घरों तथा 12 गौशालाओं के क्षतिग्रस्त होने तथा 30 पशुधन की हानि की सूचना है।
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