मिलाप कौशल खुंडियां
प्रदेश में जैसे ही गर्मियों का मौसम आता है वैसे ही जंगलों में आग लगने का खतरा बढ़ जाता है। ज्वालामुखी विधानसभा क्षेत्र के चंगर क्षेत्र में बहुत से जंगल हैं। जिनमें गर्मियों में हर वर्ष आग लग जाती है। जिससे वन संपदा के साथ-साथ वन्य प्राणियों को काफी नुकसान होता है। अधिकतर यह देखा व पाया जाता है कि जंगलों में आग लगने का मुख्य कारण जंगली रास्तों पर चलने वाले राहगीरों द्वारा जलती बीड़ी सिगरेट का फैंकना या पशुओं को चराने आए चारवाहों से बना रहता है।
चीड़ के पेड़ों से गिरने वाला चलाफू बहुत ही ज्वलंत होता है जो आग को बड़ी तेजी से आगे बढ़ाता है।
गर्मियों का मौसम शुरू होते ही चीड़ की पत्तियों की वजह से जंगलों में आग तेजी से फैलती है । वहीं स्थानीय लोगों का कहना है कि सड़क के किनारे सूखे पेड़ों और रास्तों में पड़ा चीड़ के चलाफू पर कोई व्यक्ति धूम्रपान के दौरान जलती हुई बीड़ी सिगरेट फैंक दे तो पूरा जंगल जलकर राख हो जाता है।
गांव पंचायत सुरानी के प्रधान बीरबल का कहना है कि वन विभाग को गर्मी शुरू होने से पहले ही इस पर ठोस कदम उठाते हुए फायर वाचर व वन मित्रों के सहयोग से चीड़ के सूखे चलाफू को रास्तों व सड़कों के किनारे से हटाकर एक सुरक्षित जगह इकठ्ठा कर देना चाहिए।

विधुत विभाग से सेवानिवृत्त जगदीश चंद का कहना है कि जंगलों में बहुत सारे प्राकृतिक जल स्त्रोत होते हैं जिन्हें वन विभाग व सरकार को संवारना चाहिए ताकि जंगलों में आग लगने की स्थिति में उनका पानी आग बुझाने में प्रयोग किया जा सके।
व्यवसाई कपिल का कहना है कि हर वर्ष जंगलों में आग लगती है जिससे वन संपदा व वन्य प्राणियों को को काफी नुकसान होता है। वन्य प्राणियों की कई प्रजातियां ही खत्म हो जाती है।
वहीं गांव पंचायत देहरू की प्रधान आशा कुमारी ने जानकारी देते हुए बताया कि दो साल पहले जंगल में लगी आग से हमारी पंचायत का एक बुजुर्ग मल्ली राम आग की चपेट में आ गया था जिससे उसकी मौत हो गई थी।वो अपने घर के पास बनी सरकारी नर्सरी में लगी आग को बुझाने के लिए गया तथा हवा का जोरदार झौंका आया जिससे मल्ली राम अपना संतुलन खो बैठा और साथ ही लगती पहाड़ी से नीचे गिर गया जिसे उपचार के लिए जाते हुए रास्ते में दम तोड़ दिया।
वन विभाग की रेंज आफिसर इशानी ने कहा कि वन विभाग जंगलों में लगने वाली आग पर काबू पाने के लिए भरपूर प्रयास कर रही है। जिसमें वन विभाग के गार्ड व वन मित्रों को ट्रेनिंग में सिखाया गया है कि चीड़ के जंगलों में उसकी पतियों को कैसे हटाया जाए ताकि आग लगने की स्थिति कम हो।
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