हिमाचल प्रदेश/जैसलमेर।
जैसलमेर में आज केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में जीएसटी काउंसिल की 55वीं बैठक आयोजित की गई। हिमाचल प्रदेश के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व तकनीकी शिक्षा मंत्री राजेश धर्माणी ने किया।
बैठक में कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की गई। हिमाचल प्रदेश के मंत्री ने जीएसटी मुआवजे का मुद्दा प्रमुखता से उठाते हुए राज्य को राजस्व हानि की भरपाई के लिए व्यवस्था स्थापित करने की मांग की। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश जीएसटी को बेहतर तरीके से लागू करने का प्रयास कर रहा है और अपने कर लगाने के अधिकार को त्यागते हुए यह उम्मीद की थी कि राज्य के वित्तीय हालात सुधरेंगे।
उन्होंने बताया कि हिमाचल प्रदेश एक उत्पादक राज्य है, जो देश में औषधीय दवाओं का एक बड़ा हिस्सा बनाता है और पर्यावरण संरक्षण में योगदान देता है, इसलिए इसे विशेष मुआवजा मिलना चाहिए। उन्होंने क्योटो प्रोटोकॉल का उदाहरण देते हुए पर्यावरणीय संतुलन में योगदान के लिए राज्य को मुआवजे की मांग की।
तकनीकी शिक्षा मंत्री ने हिमाचल प्रदेश में सीजीएसटी विभाग द्वारा टोल ठेकेदारों को जारी किए गए 200 करोड़ रुपये के मांग पत्र का मुद्दा भी उठाया। उन्होंने बताया कि टोल सेवाएं जीएसटी अधिसूचना क्रमांक 12/2017 के तहत कर मुक्त हैं। केंद्रीय वित्त मंत्री ने इस मुद्दे को हल करने का आश्वासन दिया।
बैठक के दौरान बीमा क्षेत्र पर कर भार को कम करने पर चर्चा की गई। हिमाचल प्रदेश के मंत्री ने महिलाओं, बच्चों और वरिष्ठ नागरिकों के लिए व्यक्तिगत स्वास्थ्य और टर्म बीमा योजनाओं को जीएसटी से छूट देने की जोरदार वकालत की। उन्होंने अनुसंधान और विकास पर शुरुआती 10-15 वर्षों के लिए जीएसटी छूट की भी मांग की।
इसके अलावा, पूर्व बजट बैठक में हिमाचल प्रदेश के मंत्री ने राज्य में आपदा प्रतिरोधी ढांचे के निर्माण के लिए अनुकूलन कोष स्थापित करने की मांग की। उन्होंने कांगड़ा हवाई अड्डे के विस्तार और चल रहे रेलवे परियोजनाओं के लिए 50% केंद्रीय हिस्सेदारी की मांग की। मंत्री ने रोपवे को पीएमजीएसवाई योजना में शामिल करने और सेब आयात पर कस्टम ड्यूटी को 50% से बढ़ाकर 100% करने की भी मांग की। इस बैठक में राज्य के प्रतिनिधिमंडल में जीएसटी के आयुक्त डॉ. यूनुस और अतिरिक्त आयुक्त राकेश शर्मा भी शामिल रहे।