धर्मशाला
हिमाचल प्रदेश की कांग्रेस सरकार प्रदेश के कर्मचारियों से संबंधित महत्वपूर्ण बदलाव करने जा रही है, जो अनुबंध पर काम कर रहे कर्मचारियों के लिए विशेष रूप से असरदार होंगे। प्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्र के पहले ही दिन 2024 में हिमाचल प्रदेश सरकारी कर्मचारी भर्ती और सेवा शर्तें विधेयक पेश किया गया। इस विधेयक के तहत अनुबंध पर कार्यरत कर्मचारियों को अब जॉइनिंग तिथि से वरिष्ठता और वित्तीय लाभ नहीं मिलें ।
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने इस विधेयक को विधानसभा में पेश किया। इसके प्रमुख प्रावधानों के अनुसार अनुबंध पर नियुक्त कर्मचारियों की वरिष्ठता अब उनके नियमित होने के बाद तय की जाएगी। यह बदलाव विशेष रूप से उन कर्मचारियों के लिए है जिनकी वरिष्ठता को लेकर पहले अदालत से आदेश जारी किए गए थे। इन आदेशों के चलते राज्य खजाने पर बोझ बढ़ने की आशंका थी और सरकार को कर्मचारियों की वरिष्ठता सूची में भी संशोधन करना पड़ता।
सरकार का मानना है कि यह बदलाव वित्तीय दबाव को कम करने के लिए जरूरी है। ताकि भविष्य में कर्मचारियों की वरिष्ठता सूची में कोई बदलाव न हो और राज्य के संसाधनों पर अतिरिक्त दबाव न पड़े। इसके साथ ही यह कदम राज्य की वित्तीय स्थिति को मजबूत करने की दिशा में भी अहम है।
विधेयक के प्रावधानों के अनुसार 21 वर्षों से राज्य में अनुबंध कर्मचारियों की भर्ती की जा रही है। अनुबंध पर नियुक्त कर्मचारियों के साथ विशिष्ट करार किया जाता है। जिसमें उनकी सेवा शर्तें, नियमितीकरण और वरिष्ठता के लाभ स्पष्ट रूप से निर्धारित होते हैं। पहले इन कर्मचारियों को अदालती आदेशों के आधार पर वरिष्ठता का लाभ मिल रहा था। लेकिन अब इस विधेयक के बाद केवल उन कर्मचारियों को ही वरिष्ठता का लाभ मिलेगा जो नियमित हो चुके होंगे।
सरकार का कहना है कि पिछले कुछ वर्षों में अदालतों से आए आदेशों के बाद वरिष्ठता के संबंध में कई संशोधन किए गए। जिसके कारण राजकोष पर अतिरिक्त बोझ बढ़ रहा था। माना जा रहा है कि राज्य सरकार ने इस विधेयक को इसलिए पेश किया ताकि कर्मचारियों की वरिष्ठता सूची में कोई और बदलाव न हो और साथ ही सरकारी खजाने पर दबाव कम किया जा सके।
इसके अलावा वरिष्ठता सूची में संशोधन के लिए जो मानवीय संसाधन खर्च होते हैं। उन पर भी काबू पाया जा सके। इस विधेयक का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि अनुबंध कर्मचारियों को उनके करार की शर्तों के तहत ही नियमितीकरण और वरिष्ठता का लाभ मिले, ताकि कर्मचारियों और सरकार दोनों के लिए कोई विवाद न हो।
अगर यह विधेयक पारित हो जाता है तो अनुबंध कर्मचारियों की नियमितीकरण प्रक्रिया के बाद ही उनकी वरिष्ठता तय की जाएगी। इसके कारण जिन कर्मचारियों ने लंबे समय तक अनुबंध पर काम किया है, उन्हें जॉइनिंग तिथि से वरिष्ठता और वित्तीय लाभ प्राप्त नहीं होंगे। इससे सरकार की वित्तीय स्थिति पर दबाव कम होगा।