अंशुल शर्मा।ब्यूरो।बिलासपुर
मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने शिमला में जिला सुशासन सूचकांक की वार्षिक रिपोर्ट जारी करते हुए बिलासपुर जिले को दूसरा स्थान मिलने की घोषणा की। इस रिपोर्ट में आठ मूल विषय, 19 केंद्र बिंदु और 90 विशिष्ट कारकों का आकलन किया गया, जिसमें बिलासपुर को राज्य स्तरीय प्रदर्शन में महत्वपूर्ण वृद्धि करते हुए पांचवें स्थान से दूसरे स्थान पर पहुंचने का गौरव प्राप्त हुआ। इस उपलब्धि के लिए बिलासपुर को 35 लाख रुपये का द्वितीय पुरस्कार भी दिया गया।
मुख्यमंत्री ने उपायुक्त आबिद हुसैन सादिक को सम्मानित करते हुए उनके नेतृत्व में बिलासपुर जिले की गवर्नेंस प्रणाली की सराहना की। सुक्खू ने कहा कि जनकल्याण के लिए सुशासन, पारदर्शिता, और जवाबदेही का होना अत्यावश्यक है और बिलासपुर ने इसे साकार कर दिखाया है।
उपायुक्त आबिद हुसैन सादिक ने बताया कि जिले में विभिन्न विभागों के बीच बेहतर समन्वय स्थापित कर सुगम और प्रभावी गवर्नेंस प्रणाली का निर्माण किया गया है। उन्होंने इस सफलता का श्रेय बिलासपुर के अधिकारियों और कर्मचारियों की तन्मयता व निष्ठा को देते हुए कहा कि जनता की सुविधा और सरकार के उद्देश्यों को पूर्ण करने के लिए पूरी टीम ने एकजुट होकर प्रयास किए हैं।
यह पुरस्कार बिलासपुर में चल रही विकास प्रक्रियाओं के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता का प्रतीक है, जो आने वाले वर्षों में और भी उच्च उपलब्धियों की ओर अग्रसर रहेगा।
उपायुक्त आबिद हुसैन सादिक ने बिलासपुर जिले में सुशासन को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने के लिए कई प्रभावी कदम उठाए हैं। उन्होंने जिला प्रशासन को अधिक पारदर्शी, जवाबदेह, और जनोन्मुखी बनाने पर जोर दिया है। विभिन्न विभागों के बीच समन्वय स्थापित करने से लेकर योजनाओं का सुचारु कार्यान्वयन सुनिश्चित किया गया है, जिससे जनता की जरूरतों को प्राथमिकता से पूरा किया जा सके।
उनकी कार्यशैली में पारदर्शिता और जवाबदेही पर विशेष ध्यान दिया गया है। शिकायतों और समस्याओं का त्वरित समाधान सुनिश्चित करने के लिए प्रभावी शिकायत निवारण प्रणाली लागू की गई है, जिससे लोगों का प्रशासन पर विश्वास बढ़ा है। जनभागीदारी को बढ़ावा देने के लिए उन्होंने ग्राम सभाओं और जन सुनवाई कार्यक्रमों के माध्यम से स्थानीय लोगों से संवाद स्थापित किया, ताकि वे विकास योजनाओं में सीधे तौर पर जुड़ सकें।
उन्होंने प्रशासन में तकनीक का उपयोग बढ़ाते हुए कई सेवाओं को ऑनलाइन उपलब्ध कराया है, जिससे जनता को सेवाएं तेजी से और सरलता से मिल सकें। साथ ही, जनसेवा केंद्रों को सशक्त बनाकर विभिन्न सरकारी सेवाओं की उपलब्धता एक ही स्थान पर सुनिश्चित की गई है। फील्ड विजिट और निरीक्षण के माध्यम से वे परियोजनाओं की प्रगति की नियमित निगरानी करते हैं और किसी भी रुकावट को तुरंत दूर करते हैं।
कर्मचारियों के प्रशिक्षण और क्षमता विकास पर भी उनका विशेष ध्यान है, जिससे वे सुशासन के उच्च मानदंडों के अनुरूप कार्य कर सकें। आबिद हुसैन सादिक की इन पहलों के परिणामस्वरूप बिलासपुर जिला राज्य के अग्रणी जिलों में शामिल हुआ है, और जिले में सुशासन के नए आयाम स्थापित हो रहे हैं।
उपायुक्त आबिद हुसैन सादिक ने बिलासपुर को नए आयामों पर ले जाने में अहम भूमिका निभाई है। उन्होंने जिले में वॉटर स्पोर्ट्स को बढ़ावा देकर इसे एक नया स्वरूप दिया है, जिससे पर्यटन में वृद्धि हो रही है और स्थानीय युवाओं को रोजगार के अवसर भी मिल रहे हैं। बिलासपुर के गोबिंद सागर झील में वॉटर स्पोर्ट्स गतिविधियों को विकसित कर उन्होंने जिले को एक प्रमुख पर्यटन स्थल के रूप में स्थापित किया है।
ई-गवर्नेंस के क्षेत्र में भी उनकी पहल उल्लेखनीय है। प्रशासन में डिजिटल सेवाओं का विस्तार करते हुए उन्होंने जनता के लिए कई सेवाओं को ऑनलाइन उपलब्ध कराया है, जिससे प्रशासनिक प्रक्रियाएं सरल, तेज और अधिक पारदर्शी हो गई हैं। इसके अलावा, हिमाचल प्रदेश की पहली डिजिटल लाइब्रेरी की स्थापना कर उन्होंने ज्ञान और शिक्षा के क्षेत्र में एक नई शुरुआत की है, जिससे विद्यार्थियों और शोधकर्ताओं को अत्याधुनिक सुविधाएं मिल रही हैं।
इसके अतिरिक्त, बिलासपुर में स्पेस लैब की स्थापना कर उन्होंने छात्रों के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में नई संभावनाओं को खोला है। यह लैब छात्रों को अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में शोध और शिक्षा के अवसर प्रदान करती है। साथ ही, इन पहलों से बिलासपुर को एक पर्यटन और शिक्षा केंद्र के रूप में पहचान मिली है, जो इसे हिमाचल के प्रमुख जिलों में शामिल करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
उपायुक्त की इन पहलों ने बिलासपुर को विकास और नवाचार का एक आदर्श उदाहरण बना दिया है, जो आगे भी अन्य जिलों के लिए प्रेरणा का स्रोत रहेगा।
उपायुक्त आबिद हुसैन सादिक का मिलनसार और हंसमुख स्वभाव उन्हें एक जनोन्मुखी अधिकारी बनाता है। उनके चेहरे पर हमेशा मुस्कान और सभी की बातों को ध्यान से सुनने का गुण उन्हें विशेष बनाता है। वे अपने कार्यालय में आने वाले प्रत्येक व्यक्ति की बात को गंभीरता से सुनते हैं और हर किसी को पर्याप्त समय देने का प्रयास करते हैं।
उनकी संवेदनशीलता और सहानुभूति लोगों के दर्द और समस्याओं को समझने में उन्हें सक्षम बनाती है। उनके कार्यालय में लोग अपनी समस्याओं को लेकर सहजता से आते हैं, क्योंकि वे जानते हैं कि उपायुक्त न केवल उनकी बात को सुनेंगे, बल्कि उनके समाधान के लिए हरसंभव प्रयास भी करेंगे। उनकी इस सुलभ और सहानुभूतिपूर्ण कार्यशैली के कारण लोगों का प्रशासन पर विश्वास और बढ़ा है, और उन्हें एक सच्चे जनसेवक के रूप में देखा जाता है।