रक्कड़,12 मार्च (अमित वालिया ): राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय तिरुपति में केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालयों की दो दिवसीय बैठक का सफल आयोजन किया गया। इस बैठक में राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के प्रभावी क्रियान्वयन, स्नातक एवं स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों का मानकीकरण, पुस्तकालय व ज्ञान संसाधनों का परस्पर आदान-प्रदान, शोधार्थियों के लिए समान शोध नियमावली, सह-निर्देशक व शोध मार्गदर्शकों की नियुक्ति, संयुक्त डिग्री एवं समवर्ती उपाधि प्रणाली, तीनों विश्वविद्यालयों में विद्यार्थियों की गतिशीलता, क्षमता निर्माण कार्यक्रमों का आयोजन, वैश्विक स्तर पर संस्कृत के प्रचार-प्रसार हेतु आपसी सहयोग, बहुविषयक एवं अंतःविषयक पाठ्यक्रमों का संचालन, क्रेडिट ट्रांसफर, संकाय विनिमय कार्यक्रम, ऑनलाइन पाठ्यक्रमों की मान्यता, संयुक्त अनुसंधान पहल, ‘उत्कर्ष महोत्सव’ की रूपरेखा, समझौता ज्ञापन (MoU) का प्रभावी क्रियान्वयन एवं रणनीति, अखिल भारतीय क्षेत्रीय सामाजिक-शैक्षिक प्रतियोगिताएँ, छात्रवृत्तियों की समानता तथा विश्वविद्यालयों की गुणवत्ता एवं राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रैंकिंग में सुधार हेतु ढेर सारे मुद्दों पर विस्तार पूर्वक चर्चा की गई।
बैठक के दौरान केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. श्रीनिवास वरखेडी, राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. जी. एस. आर. कृष्णमूर्ति, श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. मुरली मनोहर पाठक, परीक्षा नियंत्रक प्रो. आर. जी. मुरलीकृष्ण, शैक्षणिक अधिष्ठाता प्रो. पवन कुमार, प्रो. मदनमोहन झा सहित तीनों केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालयों के संकायाध्यक्ष, अधिष्ठाता एवं उच्च प्रशासनिक अधिकारी उपस्थित रहे।
बैठक में कुलपतियों, संकायाध्यक्षों एवं वरिष्ठ अधिकारियों ने विभिन्न महत्वपूर्ण विषयों का गहन अध्ययन किया और उनके प्रभावी क्रियान्वयन पर सहमति व्यक्त की।
केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. श्रीनिवास वरखेडी ने इस अवसर पर कहा कि उच्च शैक्षिक मानकों की स्थापना, संयुक्त शोध कार्यों को प्रोत्साहन तथा संस्कृत की समृद्ध धरोहर के संरक्षण व संवर्धन के प्रति संस्थानों की एकीकृत प्रतिबद्धता ही इस समझौते (MoU) की आधारशिला होगी। उन्होंने कहा कि यह समझौता संसाधनों के साझा उपयोग, छात्र एवं संकाय विनिमय कार्यक्रमों के विस्तार तथा संयुक्त पहलों के प्रभावी क्रियान्वयन को सुनिश्चित करते हुए एक नए युग की शुरुआत करेगा। उन्होंने कौशल विकास के परिप्रेक्ष्य में पारंपरिक पाठ्यक्रमों को रोजगारोन्मुखी बनाने की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि अनुसंधान आधारित नवाचारों को भी इसमें शामिल किया जाना चाहिए। उन्होंने संस्कृत विश्वविद्यालयों को एक वैश्विक संस्थान के रूप में विकसित करने के लिए सामूहिक प्रयासों की महत्ता को रेखांकित करते हुए कहा कि संयुक्त संवाद व सहयोग के आधार पर ही संस्कृत शिक्षा के उत्थान की दिशा में ठोस कदम उठाए जा सकते हैं।
कुलपति प्रो. वरखेडी ने आगे कहा कि वैश्विक परिप्रेक्ष्य को ध्यान में रखते हुए संस्कृत विश्वविद्यालयों को यह समझना होगा कि विश्व आज भारत से क्या अपेक्षा करता है। उन्होंने इस दिशा में आने वाली चुनौतियों के प्रति विश्वविद्यालयों को सतर्क रहने तथा वैश्विक प्रतिस्पर्धा में स्वयं को स्थापित करने के लिए संगठित प्रयास करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि स्थानीय व लघु उद्योगों के साथ समन्वय स्थापित कर छात्रों के कौशल विकास, इंटर्नशिप कार्यक्रमों के सुव्यवस्थित संचालन, शिक्षकों के लिए रिफ्रेशर कोर्स एवं प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन किया जाना चाहिए ताकि वे अपने विषयों में अद्यतन बने रहें। इससे न केवल छात्र संस्कृत अध्ययन की ओर आकर्षित होंगे, बल्कि शिक्षा की गुणवत्ता में भी अभूतपूर्व सुधार होगा। उन्होंने उच्च शिक्षा की गुणवत्ता को सुदृढ़ करने हेतु अन्य विश्वविद्यालयों के साथ समझौता ज्ञापन (MoU) करने, रोजगारोन्मुखी नवाचारों को प्रोत्साहित करने, तथा अनुसंधान में नवीन विषयों को सम्मिलित करने पर भी विशेष बल दिया ताकि विकसित भारत की संकल्पना को साकार किया जा सके।
बैठक में नेशनल संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. जी. एस. आर. कृष्णमूर्ति तथा श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. मुरली मनोहर पाठक ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के क्रियान्वयन तथा विभिन्न शैक्षणिक क्षेत्रों में विश्वविद्यालयों द्वारा किए गए नवाचारों की जानकारी दी। इस अवसर पर प्रो. सर्वनारायण झा, प्रो. सुदेश कुमार शर्मा, प्रो. बनमाली बिश्वाल, प्रो. ललित कुमार त्रिपाठी, प्रो. रामकांत पांडेय, प्रो. ललित कुमार साहू, प्रो. पी. वी. सुब्रमणियम, प्रो. नारायण सिंघा, प्रो. मधुकेश्वर भट्ट एवं डॉ. डी. दयानाथ सहित कई गणमान्य विद्वान उपस्थित रहे।
बैठक का समापन संस्कृत शिक्षा के सर्वांगीण विकास एवं तीनों केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालयों के बीच आपसी सहयोग को और अधिक सुदृढ़ करने की प्रतिबद्धता के साथ हुआ।
उपरोक्त जानकारी केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के बलाहर स्थित वेदव्यास परिसर के दिल्ली स्थित मुख्यालय के डीन प्रो मदनमोहन झा ने दी।
