श्रमिक कल्याण बोर्ड से वित्तिय सहायता जारी न होने के ख़िलाफ़ 20 जनवरी को शिमला में होगा धरना।
किरण राही/ पधर/मंडी।
सीटू मज़दूर संगठन मंडी ज़िला कमेटी का मध्यवती समीक्षा अधिवेशन आज मंडी में कामरेड तारा चन्द भवन में भूपेंद्र सिंह,बिमला शर्मा, इंद्र सिंह, सुरेंद्र व गुरदास वर्मा की अध्यक्षता में आयोजित किया गया। पिछले दो साल की रिपोर्ट महासचिव राजेश शर्मा ने पेश की और राज्य महासचिव प्रेम गौतम ने सम्मेलन का उद्घाटन किया।
उन्होंने कहा कि सीटू से जुड़ी हुई आंगनवाड़ी, मिड डे मील, रेहड़ी फहड़ी, मनरेगा, निर्माण, फोरलेन, सीवरेज ट्रीटमेंट, सफ़ाई मज़दूर यूनियनें अपनी अपनी मांगों को लेकर आगामी विधानसभा सत्र के दौरान शिमला में प्रदर्शन करने जा रही है।जिसमें चार लेबर कोड वापिस लेने, आंगनवाड़ी वर्करों को ग्रेच्युटी जारी करने और उन्हें रेगुलर करने,मिड डे मील वर्करों को 12 महीने का वेतन देने और छुटियाँ देने, न्यूनतम वेतन सभी स्कीम वर्करों को देने, बिजली के निजीकरण के खिलाफ, मनरेगा मज़दूरों को 400 रु दिहाड़ी देने, आउटसोर्स मज़दूरों को रेगुलर करने की नीति बनाने की ।इससे पहले मजदूरों की मांगों पर पर्चा वितरण व बैठकों का दौर शुरू किया जा रहा है।
राज्य श्रमिक कल्याण बोर्ड से मनरेगा व निर्माण मज़दूरों के लाभ जारी न होने के चलते 20 जनवरी को शिमला में प्रदर्शन किया जाएगा।आंगनवाड़ी यूनियन के 13 फरवरी को दिल्ली में हो रहे राष्ट्रीय सम्मेलन में मंडी ज़िला से 50 प्रतिभागी जायेंगी।
ज़िला प्रधान भूपेंद्र सिंह ने कहा कि धर्मपुर कोटली मंडी की ओर बन रहे राष्ट्रीय उच्च मार्ग में गाबबर कंपनी द्धारा निकाले गए दो मजदूरों को जल्द काम पर लेने की मांग उठाई और और ऐसा नहीं किया गया तो 17 जनवरी से साईट पर निरंतर धरना प्रदर्शन शुरू किया जायेगा।उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार की नीतियों के कारण कारपोरेट घरानों का लाभ कुल लाभ में से आज़ादी के बाद पहली बार पचास प्रतिशत से अधिक हो गया है और मज़दूरों का हिस्सा कम हुआ है।
केंद्र सरकार ने कारपोरेट घरानों के लाभ को और बढ़ाने के उद्देश्य से श्रम कानूनों को ख़त्म करके चार सहिंताओं में बदल दिया है लेकिन उसे वे आगामी नए वित्त वर्ष से लागू करने की योजना बना रहे हैं।ऐसा होता है तो उस स्थिति में मज़दूर यूनियनें राष्ट्रव्यापी हड़ताल की जायेगी। में से पचास प्रतिशत में प्रदेश सरकार विभिन्न विभागों में ठेका व आउटसोर्स आधार पर भर्तियां करने की नीति लागू कर रही है और उन्हें निर्धारित न्यूनतम वेतन भी अदा नहीँ किया जा रहा है और अब दस बारह साल से काम कर रहे मज़दूरों की छटनी की जा रही है।इसलिए इनके लिए स्थाई नीति बनाई जाये।
सरकार ने अनुबंध समयावधि का वित्तिय लाभ न देने के लिए हाईकोर्ट के फैसले को निरस्त करने के लिए लाए अध्यादेश का भी विरोध किया है।इसके अलावा आंगनवाड़ी, मिड डे मील और आशा वर्करों को सरकारी कर्मचारी घोषित करने ,रेहड़ी फहड़ी वालों, राष्ट्रीय उच्च मार्गों, फोर लेन,रेलवेमज़दूरों को श्रमक़ानूनो के अनुरुप वेतनमान व सुविधा देने की भी मांग की गई है।।बैठक में प्रेम गौतम, भूपेंद्र सिंह, राजेश शर्मा,गुरुदास वर्मा,बिमला शर्मा, अंजुला शर्मा, नागो देवी, सुदर्शना शर्मा, इंद्र सिंह, बिमला, सुरेंद्र शिल्लू, प्रवीण कुमार, तिरमल सिंह, मॉन सिंह, रमेश गुलरिया, राजेन्द्र कुमार,ललित कुमार, सहित एक सौ सदस्यों ने भाग लिया।