आपदा जोखिम से निपटने हेतु तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला सम्पन्न


सरकाघाट, 14 नवम्बर: जिला आपदा प्राधिकरण मंडी के सौजन्य से उपमंडल सरकाघाट में 12 नवम्बर से 14 नवम्बर तक तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला का समापन समारोह आज सरकाघाट के एसडीएम कार्यालय में आयोजित किया गया, जिसमें अध्यक्षता एसडीएम सरकाघाट स्वाति डोगरा ने की। इस कार्यक्रम का उद्देश्य आपदा प्रबंधन की दिशा में समुदाय को सशक्त बनाना और आपदा जोखिम को कम करना था।


इस प्रशिक्षण कार्यशाला में सरकाघाट की चार पंचायतों—गोपालपुर, ढलवांन, चौक और गाहर के करीब 60 स्वयंसेवकों ने हिस्सा लिया। इन स्वयंसेवकों को आपदा प्रबंधन से जुड़े विभिन्न महत्वपूर्ण पहलुओं की जानकारी प्रदान की गई। आपदा प्राधिकरण मंडी की ओर से प्रशिक्षक अमरजीत सिंह ने आपदा से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर विस्तारपूर्वक जानकारी दी। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के हैल्थ एजुकेटर शक्ति चंद ने स्वास्थ्य संबंधी जानकारियाँ दीं, जबकि होम गार्ड के कम्पनी कमांडर मेहर चंद ने आपदा संबंधी अन्य महत्वपूर्ण पहलुओं पर स्वयंसेवकों को प्रशिक्षित किया।


अग्निशमन विभाग का सहयोग:
तीसरे और अंतिम दिन, अग्निशमन विभाग की ओर से जयपाल और उनकी टीम ने अग्नि सुरक्षा के उपायों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने आग से संबंधित आवश्यक सावधानियों और एलपीजी तथा अग्निशमन यंत्रों के उपयोग का प्रशिक्षण डेमोंस्ट्रेशन के माध्यम से दिया। साथ ही, देहाती और जंगली क्षेत्रों में लगने वाली आग से सुरक्षा के उपायों पर भी स्वयंसेवकों को जागरूक किया गया, ताकि वे किसी भी आपात स्थिति में खुद को और आसपास के लोगों को सुरक्षित रख सकें।


एसडीएम सरकाघाट स्वाति डोगरा का संबोधन:
कार्यक्रम के दौरान, एसडीएम स्वाति डोगरा ने कहा कि इस प्रशिक्षण कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य स्थानीय स्तर पर आपदा से निपटने के लिए युवा स्वयंसेवकों की टास्क फोर्स तैयार करना है। उन्होंने कहा कि भूकम्प, भूस्खलन, बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं के समय जागरूकता से जान-माल के नुकसान को कम किया जा सकता है।

इस प्रकार की कार्यशालाएँ लोगों में जागरूकता लाने और उन्हें आपदा प्रबंधन के विभिन्न आयामों से अवगत कराने के लिए आवश्यक हैं। विपरीत परिस्थितियों में कम जोखिम उठाकर अधिक से अधिक जानों को बचाने में इस प्रकार की प्रशिक्षण कार्यशालाएँ सहायक सिद्ध होंगी।
अंत में, एसडीएम स्वाति डोगरा ने सभी 60 स्वयंसेवकों को प्रमाण पत्र भी प्रदान किए, ताकि उनके प्रयासों को सम्मानित किया जा सके और आगे भी वे इस दिशा में सक्रिय भूमिका निभा सकें।

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