भगवान रघुनाथ की रथ यात्रा के साथ अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरे का आगाज, 300 देवताओं ने लिया भाग


कुल्लू

राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने रविवार को कुल्लू के रथ मैदान में सप्ताह भर चलने वाले अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरे का शुभारम्भ किया। राज्यपाल ने भगवान श्री रघुनाथ जी  की रथयात्रा  में भी भाग लिया। इस अवसर पर लेडी गवर्नर जानकी शुक्ला भी उपस्थित थीं। राज्यपाल ने हजारों श्रद्धालुओं के साथ उत्सव के मुख्य आकर्षण स्थल पर पहुंचकर भगवान श्री रघुनाथ जी की पूजा-अर्चना की। उन्होंने प्रदेशवासियों को दशहरे की शुभकामनाएं दी। इस अवसर पर सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय करोल और उप-मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री भी उपस्थित थे।

इस अवसर पर राज्यपाल ने कहा कि यह प्रदेशवासियों का सौभाग्य है कि कुल्लू की पवित्र भूमि में भगवान श्री रघुनाथ जी का वास है और यहां से उनका गहरा नाता है। उन्होंने कामना की कि भगवान श्री रघुनाथ जी का प्रदेशवासियों पर आशीर्वाद सदैव बना रहे ताकि हम इसी प्रकार अपनी देव संस्कृति को आगे बढ़ाते रहें। उन्होंने कहा कि यह उत्सव पर्यटन की दृष्टि से भी महत्त्वपूर्ण है और हमें इस दौरान लोगों को नशे के खिलाफ जागरूक करने के भी प्रयास करने चाहिए।

इसके उपरांत, राज्यपाल ने विभिन्न सरकारी विभागों, बोर्डों, निगमों और अन्य गैर सरकारी संगठनों द्वारा लगाई गई प्रदर्शनियों का शुभारम्भ किया। उन्होंने इस अवसर पर लगाए गए स्टॉलों (stalls) का भी अवलोकन किया और प्रदर्शनियों की सराहना की। उन्होंने कहा कि यह प्रसन्नता और गर्व की बात है कि मुझे आज कुल्लू की खूबसूरत घाटी में अन्तरराष्ट्रीय दशहरा (International Dussehra) महोत्सव के भव्य अवसर पर आप सभी के बीच उपस्थित होने का अवसर मिला।

उन्होंने कहा कि अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और ऐतिहासिक महत्त्व के लिए प्रसिद्ध यह त्योहार बुराई पर अच्छाई और अधर्म पर धर्म की विजय का प्रतीक है। सदियों से हमारी सांस्कृतिक विरासत का अभिन्न अंग रहे कुल्लू के इस अनूठे उत्सव ने न केवल यहां की परम्पराओं को संजोकर रखा है, बल्कि अपनी भव्यता के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विशेष पहचान भी बनाई है।

उन्होंने कहा कि यह पवित्र त्योहार जहां एक ओर हमें हमारी जड़ों से जोड़ता है वहीं रावण पर भगवान श्री राम की जीत, राक्षसों की पराजय और धर्म की पुनः स्थापना का स्मरण भी करवाता है। उन्होंने कहा कि अधर्म कितना भी बलशाली क्यों न हो अंत में जीत सत्य, न्याय और सदाचार की होती है। राज्यपाल ने कहा कि भारत के अन्य भागों में जहां केवल एक दिन के लिए यह उत्सव मनाया जाता है। वहीं कुल्लू में यह उत्सव सप्ताह भर मनाया जाता है और यहां देवभूमि के रीति-रिवाजों, कला और सामुदायिक भावना की शानदार झलक देखने को मिलती है।

  उत्सव के दौरान देवताओं की शोभा यात्रा, आकर्षक मेले और विभिन्न क्षेत्रों के लोगों की भागीदारी हिमाचल प्रदेश के लोगों के आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत के साथ गहरे संबंध को दर्शाती है। उन्होंने कहा कि हिमाचल अपने नैसर्गिक सौंदर्य के लिए जाना जाता है और यहां के वातावरण को स्वच्छ और संसाधनों को संजोकर रखना हम सभी का समान दायित्व है।

राज्यपाल ने कहा कि हमें विश्वास है कि यह त्योहार सामाजिक एकता को मजबूत करने, राज्य में समृद्धि लाने और हमें एक उज्ज्वल भविष्य की ओर अग्रसर होने के लिए प्रेरित करेगा। उन्होंने कहा कि देवभूमि में नशे के लिए कोई भी स्थान नहीं है और इसे जड़ से उखाड़ने के लिए सभी को एक साथ आगे आना चाहिए ताकि राज्य का वातावरण स्वस्थ बना रहे। इस अवसर पर जिला कुल्लू के विभिन्न क्षेत्रों से 300 से अधिक देवता भाग ले रहे हैं। इससे पूर्व, भुंतर हवाई अड्डे में आगमन पर राज्यपाल का गर्मजोशी से स्वागत किया गया।

मुख्य संसदीय सचिव सुंदर सिंह ठाकुर, विधायक, उपायुक्त तोरूल एस रवीश, पुलिस अधीक्षक डॉ. कार्तिकेयन गोकुलचंद्रन और अन्य गणमान्य व्यक्ति भी इस अवसर पर उपस्थित थे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *