विपुल गुप्ता, सुजानपुर, न्यूज़ हिमाचल 24
पूर्व विधायक राजेंद्र राणा ने कहा है कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू द्वारा दिल्ली में अपने प्रवास के बावजूद नीति आयोग की बैठक में हिस्सा ना लेना प्रदेश के लिए अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है।
आज यहां जारी एक बयान में राजेंद्र राणा ने कहा कि यह बहुत खेदजनक बात है कि मुख्यमंत्री अपनी कुर्सी सलामत रखने के चक्कर में दिल्ली में अपने आकाओं से तो मिलते रहे लेकिन उन्होंने प्रदेश हित को ताक रखते हुए नीति आयोग की बैठक से दूरी बना ली।
राजेंद्र राणा ने कहा कि हिमाचल प्रदेश पहले से ही भयावह आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहा है और सुक्खू सरकार ने प्रदेश को कर्ज के दलदल में डुबोने में कोई कसर नहीं छोड़ी है । उन्होंने कहा जब से हिमाचल प्रदेश बना है, तब से प्रदेश में कई सरकारें आई और गई और अभी तक हिमाचल प्रदेश पर 65 हजार करोड रुपए का कर्ज था।
लेकिन सुक्खू सरकार ने 15 महीने में ही यह कर्ज एक लाख करोड़ से ऊपर पहुंचा दिया है। अभी तक सुक्खू सरकार 35000 करोड़ का कर्ज ले चुकी है। राजेंद्र राणा ने कहा कि मुख्यमंत्री को ना तो प्रदेश के विकास की चिंता है और ना ही प्रदेश की जनता के हितों की चिंता है। प्रदेश में विकास कार्य पूरी तरह ठप्प पड़ चुके हैं।
सरकार अपनी चुनावी घोषणाएं पूरी नहीं कर पा रही है। इस सरकार में कोई विजनरी नेता भी नहीं है जो प्रदेश को नई राह दिखा सके। इन तमाम स्थितियों के बावजूद मुख्यमंत्री द्वारा नीति आयोग की बैठक से दूरी बना देना प्रदेश के लिए बहुत दुर्भाग्यपूर्ण बात है।
राजेंद्र राणा ने कहा कि एक तरफ मुख्यमंत्री केंद्र सरकार को आए दिन पानी पी पीकर कोसते रहते हैं और दूसरी तरफ नीति आयोग की बैठक से दूरी बना लेते हैं जिससे साफ जाहिर होता है कि उन्हें प्रदेश की कोई चिंता नहीं है।