प्रियांशी 11 अप्रेल :श्रीमद भागवत कथा के चतुर्थ दिवस में परम श्रद्धेय अतुल कृष्ण जी महाराज ने चौली में व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि जिसने सत्य को जाना उसके भीतर का अंधकार समाप्त हो जाता है. परमात्मा का घर इतना सूक्ष्म है कि वहां पवन की भी गति नहीं है. क्योंकि पवन भी काफी स्थूल है और प्रवेश नहीं कर पाता. वहां तो सिर्फ निरहंकारिता का ही प्रवेश है. जो द्वार पर ही अपने को छोड़कर भीतर आ सके, जो सीढ़ियों पर ही अपने को डाल दे, तो भीतर आने का हकदार हो जाता है. सारा जगत ईश्वर की अपूर्व सुव्यवस्था में रचा बसा है. विराट विश्व जिस मौन, शांति और आनंद से गतिमान है उस अज्ञात शक्ति का नाम ही परमात्मा है. सृष्टि में कहीं कोई उच्श्रृंखलता नहीं है, कहीं कोई व्याघात नहीं है, सब अविच्छिन्न धारा की तरह चल रहा है. संपूर्ण ब्रह्मांड एक लयबद्ध संगीत से प्रतिध्वनित एवं आबद्ध दृष्टिगोचर हो रहा है

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महाराजश्री ने कहा कि अज्ञानी तो अंधकार में भटकते ही हैं लेकिन ज्ञानी महा अंधकार में भटक जाते हैं. महापंडित भी अजीब-अजीब बातों में उलझ जाते हैं. वह बाल की खाल निकालने में लगे हुए हैं. विवाद और तर्कजाल में ऐसे फंसे हैं कि उनके पास साधना, सुमिरन और समाधान का समय ही नहीं है. जो सदैव अपने अंतःकरण में ईश्वर का अस्तित्व महसूस करते हैं, उनके जीवन से जन्म-जन्मांतर का कूड़ा-करकट एवं गंदगी सदा के लिए विसर्जित हो जाती है. आज कथा में श्रीवामन अवतार, मत्स्य अवतार, श्रीरामावतार एवं भगवान श्री कृष्ण के प्राकट्य का प्रसंग लोगों ने बड़ी उत्सुकता से सुना. इस अवसर पर कथा के मुख्य यजमान सर्वश्री प्रकाश चंद्र ठाकुर, राजिन्दर पाल सिंह पम्मा, मानचंद ठाकुर, देशबंधु, सुभाष ठाकुर, कुलभूषण ठाकुर, सुरिन्दर राणा, रुपिंदर सिंह डैनी, राजेश डोगरा, साहिल ठाकुर, अनमोल राणा, किरण ठाकुर, संतोष कुमारी, शीला देवी, सुदेश राणा, मंजू बाला शर्मा, अंजना कुमारी, शुभलता ठाकुर, सुमिता ठाकुर, अनीता शर्मा, सुलक्षणा, सुदर्शना सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे.
