वन संरक्षण अधिनियम (FCA) के अंतर्गत लंबित प्रस्तावों की समीक्षा के लिए एक मासिक बैठक आज उपायुक्त मंडी अपूर्व देवगन की अध्यक्षता में आयोजित की गई। बैठक में जिले की विकास परियोजनाओं से जुड़े एफसीए मामलों की गहन समीक्षा की गई और उनके त्वरित निष्पादन के लिए संबंधित विभागों को आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किए गए।
उपायुक्त ने कहा कि विकास कार्यों में अनावश्यक देरी से बचने के लिए एफसीए प्रस्तावों का शीघ्र निष्पादन अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने जानकारी दी कि 17 मार्च 2023 से अब तक जिले के विभिन्न विभागों के कुल 27 प्रस्तावों को अंतिम स्वीकृति दी जा चुकी है। इनमें से तीन प्रस्तावों को मई माह में मंजूरी मिली, जिनमें मंडी शहर एवं आसपास के गांवों में सीवरेज परियोजना, मंडी मंडल में बनौण कैंची से गाहरा तक लगभग 4 किमी लंबी सड़क तथा लूहरी विद्युत परियोजना चरण-1 के अंतर्गत 220 केवी विद्युत ट्रांसमिशन लाइन शामिल हैं।

उन्होंने संबंधित विभागों को निर्देश दिए कि प्रत्येक लंबित मामले के लिए स्पष्ट टाइमलाइन तय की जाए और उसी के अनुसार कार्यों को निर्धारित समय में पूर्ण किया जाए। साथ ही विभागों के बीच बेहतर समन्वय पर बल देते हुए उन्होंने कहा कि वन भूमि हस्तांतरण से संबंधित औपचारिकताओं को शीघ्रता से पूर्ण किया जाए।
बैठक के दौरान कुल 64 एफसीए प्रस्तावों पर बिंदुवार चर्चा की गई, जिनमें से 40 प्रस्ताव परिवेश 1.0 पोर्टल तथा 24 प्रस्ताव परिवेश 2.0 पोर्टल से संबंधित थे। ये प्रस्ताव न्यायिक परिसरों, सड़कों, भवनों और जलविद्युत परियोजनाओं आदि से संबंधित हैं। इसके अतिरिक्त, 25 ऐसे प्रस्तावों की भी समीक्षा की गई, जिन्हें विगत 5 से 10 वर्षों के बीच स्टेज-1 (सैद्धांतिक) स्वीकृति प्राप्त हो चुकी है, किंतु वे अब तक स्टेज-2 (अंतिम) स्वीकृति के लिए लंबित हैं।

बैठक में जिला विधिक सेवाएं प्राधिकरण के सचिव विवेक कायस्थ, डीएफओ (जिला मुख्यालय) अंबरीश शर्मा, डीएफओ मंडी बसु डोगर, डीएफओ सुकेत राकेश कटोच, डीएफओ करसोग केबी नेगी, डीएफओ एसएस कश्यप, डीएफओ जोगिन्द्रनगर अश्विनी कुमार, जिला पर्यटन विकास अधिकारी रजनीश शर्मा सहित लोक निर्माण, जल शक्ति तथा अन्य संबंधित विभागों के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।
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