अंशुल शर्मा।सरकाघाट।
नागा बाबा की तपोभूमि शिव मंदिर सरकाघाट में चल रही श्रीमद् भागवत महापुराण कथा के पांचवें दिन व्यास गद्दी पर विराजमान भागवत भूषण विशाल उपाध्याय ने कहा कि सुख और दुख जीवन में आते जाते रहते हैंलेकिन मनुष्य को अपना धर्म नहीं छोड़ना चाहिए सुख दुःख अनित्य है और धर्म नित्य है
धर्म के बिना सुख नहीं मिल सकता इसलिए मनुष्य को सर्वदा धर्म का पालन करते रहना चाहिए उन्होंने समुद्र मंथन की कथा का व्याख्यान करते हुए कहा कि समुद्र मंथन का आध्यात्मिक अर्थ हमारा हृदय ही समुद्र है यदि बाहर समुंद्र में अमृत है तो हृदय रूपी समुंद्र में ज्ञानारूपी अमृत है
इसे मंथ कर प्रकट करना है कृष्ण जन्म का वृतांत सुनाते हुए कहा कि राम बन कर ही हमें कृष्ण कथा सुनने का अधिकार प्राप्त होता है विशुद्ध मन बशुदेव हे ओर सूक्ष्म बुद्धि देवकी है सूक्ष्म बुद्धि और विशुद्ध मन जहां मिलते हैं वहीं आत्मस्वरुप श्री कृष्ण प्रकट होते हैं