ब्यूरो।शिमला।
हिमाचल प्रदेश में शास्त्री का कमीशन पास करने के बावजूद बेरोजगार युवाओं को नियुक्ति नहीं दी जा रही है। 2019 में शुरू हुई भर्ती का प्रोसेस 2022 में भी पूरा नहीं हो सका। इससे नाराज अभ्यर्थी मंगलवार को मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से मिलने शिमला पहुंचे।
वहीं मुख्यमंत्री के सरकारी आवास ऑकओवर तक पहुंचने से पहले ही इन्हें रोका दिया गया। पुलिस से बहस भी हुई, क्योंकि नियुक्ति का इंतजार कर रहे बेरोजगारों में सरकार के प्रति काफी गुस्सा है। रिजल्ट घोषित होने के 8 महीने बाद भी नौकरी नहीं मिलने से युवा मानसिक तनाव का शिकार हो रहे हैं।
दरअसल, कर्मचारी चयन सेवाएं आयोग ने तकरीबन 582 शास्त्री का चयन कर रखा है, लेकिन नेशनल काउंसिल फॉर टीचर ट्रेनिंग के आदेशों के तहत इनके चयन को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई, क्योंकि एन सी टी ई ने शास्त्री पद के लिए बीएड अनिवार्य की है।
इस शर्त के कारण जेबीटी की भर्ती पर भी लंबे समय से विवाद हो गया है। 2018 के बाद कोई तैनाती नहीं हो पाई है। इससे स्कूलों में शास्त्री के साथ साथ जेबीटी की भी काफी कमी खल रही है। इसका असर सीधे तौर पर विद्यार्थियों की पढ़ाई पर पड़ रहा है।
*लंबी होती जा रही प्रशिक्षित बेरोजगारों की फौज*
वहीं सेलेक्शन के बावजूद चयन न होने से पढ़े लिखे बेरोजगारों का नौकरी का इंतजाम भी लंबा होता जा रहा है। पुरानी भर्तियां क्लीयर नहीं होने से नई भर्ती नहीं हो पा रही हैं। यही वजह है कि राज्य में प्रशिक्षित बेरोजगारों की फौज लंबी होती जा रही है।