शिमला
हिमाचल प्रदेश में एक शख्स ने फर्जी एससी प्रमाण पत्र के जरिये टीजीटी की नौकरी हथिया ली। चौंकाने वाली बात यह है कि वह कई वर्षों तक टीजीटी की नौकरी करता रहा। जब इसकी पोल खुली तो पुलिस ने शख्स के विरुद्ध धोखाधड़ी का केस दर्ज किया।
मामला शिमला जिला के नेरवा थाना क्षेत्र में सामने आया है। सामान्य जाति के एक शख्स द्वारा अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र प्रस्तुत कर टीजीटी (कला) की नौकरी लेने के आरोप में नेरवा पुलिस थाना में मामला दर्ज किया गया है। यह मामला अनुसूचित जाति बेरोजगार संघ की शिकायत पर दर्ज किया गया है।
शिकायत के अनुसार वर्ष 2009 में रोशन नामक शख्स ने खुद को अनुसूचित जाति का बताते हुए फर्जी प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया। इसके आधार पर उसने टीजीटी (कला) के पद पर नौकरी प्राप्त की। शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि रोशन सामान्य जाति से संबंधित है और उसने गलत दस्तावेजों का सहारा लेकर अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित पद पर कब्जा कर लिया।
नेरवा पुलिस ने सोमवार को भारतीय दंड संहिता (भादंसं) की धारा 420 (धोखाधड़ी), 467 (जालसाजी), 468 (धोखाधड़ी के उद्देश्य से जालसाजी), और 471 (फर्जी दस्तावेज का उपयोग) के तहत मामला दर्ज किया। पुलिस ने इस मामले में विस्तृत जांच शुरू कर दी है।
अनुसूचित जाति बेरोजगार संघ से जुड़े लोगों का कहना है कि यह न केवल एक गंभीर अपराध है। बल्कि अनुसूचित जाति के असली पात्र उम्मीदवारों के साथ अन्याय भी है। उनका आरोप है कि ऐसे मामलों से आरक्षण प्रणाली की विश्वसनीयता पर सवाल उठते हैं।
पुलिस के मुताबिक़ शिकायत मिलने के बाद तत्काल मामला दर्ज कर लिया गया है। पुलिस ने फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर नौकरी पाने के सभी पहलुओं की जांच शुरू कर दी है।
