रक्कड़, 19 मार्च (पूजा) : अकड़ एवं अहंकार भक्त और भगवान के बीच की दूरी को बढ़ा देता है. प्रभु का आश्रय हमें संभावनाओं की नई मंजिलों तक ले जाता है. हमारे पास अभी जो कुछ भी है, वह तो कुछ भी नहीं है. उज्ज्वल भविष्य उनकी प्रतीक्षा कर रहा होता है जो ईश्वर की छत्रछाया में आगे बढ़ते हैं।

उक्त अमृतवचन श्रीमद् भागवत कथा के चतुर्थ दिवस में परम श्रद्धेय अतुल कृष्ण जी महाराज ने न्याटी सुंही, चम्बा पत्तन में व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि हम फूल बनकर जीवन जिएं कांटे बनकर नहीं. फूलों की खुशबू हवा में बिखर कर सभी को आनंदित करती रहती है. जबकि कांटे नीरसता, दुख एवं पीड़ा लेकर बैठे हुए हैं।
फूलों को चाहे कोई भी न देखे, कोई भी उनके पास से न गुजरे, तब भी वे निष्काम भाव से अपनी महक और सौंदर्य लुटाते रहते हैं। भक्ति, भक्त और भगवान के बीच सेतु का काम करती है। जब भक्त अपने को परमात्मा के हाथ में छोड़ देता है तभी वह सांसारिक इच्छाओं एवं अपेक्षाओं से मुक्त हो पाता है।

अतुल कृष्ण जी ने कहा कि गतिशीलता ही जीवन है एवं ठहराव मृत्यु. परमात्मा महा जीवन है। अपने आप को जान लेना बून्द को जानने जैसा है जबकि परमात्मा को जान लेना विराट सागर को आत्मसात करने जैसा है. आज कथा में श्रीवामन अवतार, मत्स्य अवतार, रामावतार एवं भगवान श्रीकृष्ण के प्राकट्य का प्रसंग लोगों ने अत्यंत श्रद्धा से सुना. इस अवसर पर भगवान की झांकी भी निकाली गई ।
श्रीमद् भागवत कथा प्रतिदिन 11 से 2 बजे तक 22 मार्च तक जारी रहेगी. कथा के पश्चात प्रतिदिन महाप्रसाद एवं भंडारे का भी आयोजन किया जा रहा है. आज भी प्रमुख रूप से मुख्य यजमान गुलशन कुमार, दिनेश ठाकुर, अनुराग ठाकुर, कार्तिक राणा, अश्विनी शर्मा रक्कड़, विश्व हिंदू परिषद हिमाचल प्रदेश सह-सत्संग प्रमुख पवन कुमार बजरंगी, विश्व हिंदू परिषद के जिला देहरा अध्यक्ष त्रिलोकचंद शर्मा, मानचंद ठाकुर, बलदेव सिंह, करमचंद, दिलबाग सिंह, किशनचंद, ज्ञानचंद, यशपाल पटियाल, रक्षपाल सिंह, स्नेहलता ठाकुर एवं गरिमा राणा इत्यादि उपस्थित रहे।
